लालकिले से (भाग-1३)
सुप्रीम कोर्ट के डर, गणतंत्र दिवस विरोधी बयान और अराजकता पर मीडिया के स्टंैड के कारण केजरीवाल को पीछे हटना पड़ा
दोनों एसएचओ को छुट्टी पर जाने के लिए केजरीवाल के पीएस राजेन्द्र ने राजी किया, केन्द्र सरकार ने एक भी शर्त नहीं मानी
दिल्ली पुलिस के तीन एसएचओ के बहाने देश भर में माहौल बनाने के लिए दस दिन तक धरने की तैयारी से आए केजरीवाल को 32 घंटे में ही अपना आंदोलन वापस लेना पड़ा। जिसे वह अपनी जीत बता रहे है वह उनकी हार है। दरअसल केन्द्र ने उनकी एक भी शर्त नहीं मानी। जिन दो एसएचओ को छुट़टी पर भेजे जाने की खबरें आ रही हैं उन्हें खुद केजरीवाल के सचिव राजेन्द्र ने लाखें मिन्नतें कर छु़ट़टी पर जाने को राजी किया। इसके बाद दोपहर 1 बजे उप राज्यपाल नजीब जंग के घर योगेन्द्र यादव लंच पर गए और धरना खत्म करने की पेशकश की। इसके बाद रात 8 बजे के बाद उप राज्यपाल ने अरविंद केजरीवाल से अपील की कि गणतंत्र दिवस और सुरक्षा के मुद्दे पर धरना खत्म कर दें। केजरीवाल तो उधार ही बैठे थे। उन्होंने अपने अधसच्चे भाषण के साथ धरना समाप्त करने का ऐलान कर दिया। इस पांच मुद्दों के कारण केजरीवाल को पीछे हटना पड़ा और उनकी भारी किरकिरी हुई।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका स्वीकार
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को धरने को लेकर अरविंद केजरीवाल और मंत्री सोमनाथ के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की गई है। इसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। मुख्य न्यायाधीश पी सतशिवम ने इस पर शुक्रवार को सुनावाई करेंगे। इस याचिका में धरने से होने वाली अव्यवस्था और सोमनाथ भारती को बचाने के विषय को उठाया गया है। जब तक केजरीवाल और उनकी टीम को इसकी भनक लगी कि याचिका स्वीकार हो गई है तब तक लुटियंस विला में अराजकता से हालात बन चुके थे। तब लगा कि कहीं कोर्ट शुक्रवार को इस अराजकता पर कोई सख्त बात न कह दे ले इसलिए तुरत-फुरत धरना समेटने की पटकथा लिख दी गई। इसलिए आप ने केन्द्र के सामने हथियार डालते हुए सम्मानजनक फार्मूले की बात उप राज्यपाल के मार्फत कही। सुप्रीम कोर्टमें इस विषय पर दिल्ली और केन्द्र सरकार की किरकिरी होनी तय है। कारण कि धरना प्रकरण में केजरीवाल ने संविधान और कानून की जमकर धज्जियां उड़ाई हैं।
गणतंत्र और मीडिया का विरोध महंगा पड़ा
ये कोई गणतंत्र दिवस है। ये गणतंत्र और वीआईपी लोगों के लिए है। असली गणतंत्र तो ये है। इसकी विपरीत प्रतिक्रिया हुई। मीडिया और केजरीवाल के समर्थकों की ओर से भी इसकी विपरीत प्रतिक्रिया आने लगी। मीडिया भी इस तरीके को अराजक बताने लगा। मैट्रो और रास्ते बंद होने से जनता भी विरोध में आने लगी। अपेक्षित समर्थन भी नहीं मिला। केजरीवाल को लगने लगा कि गणतंत्र का विरोध करने से कहीं उन्हें देशद्रोही की उपमा न मिल जाए। उन्होंने धरना समाप्त करने का फैसला किया और दो टीमों को काम पर लगाया। पाकिस्तानी मीडिया ने आज केजरीवाल के गणतंत्र वाले मुद्दे पर जम्हूरियत का खूब मजाक उड़ाया।
खुद एसएचओ को छुट्टी पर जाने के लिए राजी किया
दिल्ली सचिवालय में पहली टीमें में केजरीवाल के पीएस राजेन्द्र ने दोनों एसएचओ को छुट्टी पर जाने को राजी किया। इसी दौरान एलजी नफीज जंग के घर पर लंच के बहाने अरविंद के शांति दूत बनकर योगेन्द्र यादव गए। और कहा कि दो एसएचओ को छुट्टी पर जाने के लिए हमने राजी कर लिया है अत: आप जांच तक दोनों को छुृ्रट़टी पर भेजने की घोषणा करें। इसके बाद शाम को गृहमंत्री सुशील कुमार शिन्दे राहुल गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह राष्टपति से मिलने गए और उनसे इस मामले पर उनकी मुहर लगवाई।
पुलिस की सख्ती और सेना का डर
दोहपर में बाधाएं हटाकर रेलवे भवन की ओर जाने को प्रयास कर रहे आप कार्यकर्ताओं पर दिल्ली पुलिस के लाठीचार्ज के बाद धरना स्थल को रैपिड एक् शन फोर्स ने घेर लिया। इससे भी केजरीवाल को लगा अब केन्द्र सख्ती कर सकता है। इसी बीच रेलवे भवन को बंद कर धरना स्थल को कल तक खाली करने के लिए अल्टीमेटम दे दिया गया। कारण कि कल से इस सारे इलाके का कब्जा सेना अपने हाथ में ले लेगी। सेना को कल तक कैसे भी करके यह स्थान खाली करके देना था।
कांग्रेस ने केजरीवाल को आइना दिखाया
केजरीवाल को गेमप्लान का था कि सरकार शहीद करवाकर वे नेशनल हीरो बन जाएं जाएंगे पर महाराष्ट्र पुलिस के एक पुराने कांस्टेबल ने उनका सारा खेल बिगाड़ दिया। न मांगे मानी और माहौल को इतना अराजक होने दिया कि देश में केजरीवाल की छवि बिगड़े। एसएचओ को छुट्टी पर भेजने के बारे में गृहमंत्री और एलजी की ओर से कोई आफिसियल बयान नहीं आया है। सारा समझौता राजनीतिक बयानबाजी पर आधारित था। लेकिन कांग्रेस ने न समर्थन वापस लिया, न सरकार बर्खास्त हुई और न ही गोली चली। वापस हुआ तो धरना। उसी से ठंडा उसी से गरम की तई पर कांग्रेस ने केजरीवाल से राजनीति खेल डाली। कुल मिलाकर केजरीवाल का हाल खाया पिया कुछ नहीं गिलास तोड़ा बारह आना जैसा हो गया।
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