प्रियंका गांधी के नीच राजनीति वाले बयान और उस पर नरेन्द्र मोदी के पलटवार से जाति आधारति राजनीति का मुद्दा गरमा गया है। मोदी कई बार सभाओं में स्वयं का पिछड़ी जाति का बता चुके हैं। नीच राजनीति के बयान के बाद बहन मायावती भी उनसे उनकी जाति पूछ चुकी हैं। वे यूपी में ये प्रचार कर रही हैं मोदी तेली जाति से पिछड़ा वर्ग में आते हैं। दरअसल मोदी मोदी मोड घांची समुदाय के हैं। बक्षी आयोग की सूची के तहत 25 जुलाई 94 को उनके समुदाय को गुजरात में अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल किया गया। बाद में मंडल आयोग के बाद इस सूची को अपडेट किया गया। बड़े की आश्चर्य की बात है कि जिस मंडल के खिलाफ लालकृष्ण आडवाणी ने कमंडल (रथयात्रा)यात्रा निकाली थी उसके सारथी नरेन्द्र मोदी ही थे और उसी मंडल की राजनीति उन्हेंआज यूपी और बिहार में अपना जनाधार बनाने में मदद कर रही है।
दरअसल मोदी के घांची समुदाय के लोग छोटे-मोटे व्यापार चाय की दुकान, छोटी कि राने की दुकान, सिलाई जैसे छोटे धंधों में लगे रहते हैं। सूरत शहर में इनका खास असर और संख्या है। सूरत में ये लोग अब अपने आप को मोड़ वणिक कहलाना ज्यादा पसंद करते हैं। जिस आदेश के तहत मोदी की जाति को ओबीसी का दर्जा मिला है उसके ठीक एक स्थान पहले तेली जाति को यह दर्जा मिला हुआ है इसलिए मायावती उन्हें यूपी में तेली जाति का बताने का अभियान छेड़ा हुआ है।
आज कांग्रेस प्रवक्ता शक्तिसिंह गोहिल ने भी उन पर आरोप लगाया कि वे नकली ओबीसी हैं और मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने जाति को ओबीसी में शामिल करवाया। उनका आरोप है कि 1 जनवरी 2002 के आदेश में जिस घांची जाति को ओबीसी में शामिल किया गया है वे मुस्लिम घांची हैं। दरअसल मोदी की जाति मोड़ घांची को 94 में ही ओबीसी में शामिल किया गया। गुजरात में ओबीसी के लिए बने बक्षी आयोग की सूची शायद उन्होंने नहीं देखी। बक्षी आयोग की सिफारिशों के बाद भी कई जातियां ओबीसी में शामिल की गईं हैं। संघ ने गुजरात में ओबीसी और जनरल वोटों के काम्बीनेशन से ही कांग्रेस की खाम थ्योरी यानी क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम के जोड़ को कमजोर किया था।
संलगन पत्र के दूसरे पेज में मोड़ घांची जाति का उल्लेख है।
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