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शुक्रवार, 28 मार्च 2014

लालकिले से (भाग-37)- मोदी चाय, पप्पू कोला और केजरी काड़े पर भारी बनारसी भांग




देश बीमार और आम चुनाव के आईसीयू में है। करप्शन और महंगाई के वाइरल से बुरी तरह पीडि़त। इलाज के लिए जनता मोदी चाय और केजरी काड़ा का सहारा लेने का प्रयास कर रही है। पर कांग्रेस उसे अभी भी यूपीए कारर्पोरेशन के मनकोला की जगह का पप्पूकोला पिलाने पर आमादा है। वैसे वाइरल का कारण यह कोला ही है। होली पर काकटेल कहानी चाय, कोला, काड़ा और भांग की।

आरएसएस के गैस पर मोदी की चाय

रामभरोसे हिन्दू होटल में आरएसएस के नागपुरी गैस पर मोदी की चाय की केटली चढ़ी ही थी कि सेफ लालजी रूठ गए। वे बोले इस केटली में तो जिन्हा ब्रांड आडवाणी पत्ती डालनी थी इसमें हिटलर ब्रांड  सेफ्रान मसालेदार मोदी टी कैसे डाल दी। चाय की ब्रांडिंग का झगड़ा ब्लाग तक ले गए। इससे चाय कड़वी हो गई।
चाय कड़वी होते देख यूपी के पुराने मास्साब राजनाथ शक्कर लेकर आ गए। बोले- नरेन्द्रभाई मैं हूं ना। आपकी हिटलर ब्रांड  सेफ्रान मोदी टी और पिछले चुनाव में फीकी पड़ी मेरी शक्कर मिलकर जिन्हा ब्रांड पत्ती के कड़वे पन को तो दूर कर ही देंगी। सो जिन्हा ब्रांड कडक़ पत्ती का कड़वापन कम होने लगा। मिठास बढऩे लगी। पर इस मिठास में कहीं न कहीं यह भी हिसाब है कि अगर मोदी चाय नहीं बेच पाए तो दुकान उन्हें मिल जाएगी।
इतने में उद्धव भाउ भी आ गए कि इस चाय में हमारे साथ राजभाउ के हिन्दुत्व का अदकर क्यों मिलाया। स्वाद के लिए क्या हमारे पुराने अदकर पर भरोसा नहीं था। लिखकर बोले- हम सत्ता के लिए चाय में गोबर नहीं मिला सकते।
इतने में मोदी को लगा कि सेक्यूलरिजम का दूध डाले बगैर चाय बिकेगी नहीं,  इसलिए बिहार से रामविलास दूधवाले को बुलवाया है। कभी इसी ने उन्हें दूध देने से मना किया था। उनका दूध डलते ही चाय सेक्यूलर हो गई। अब ये बात और है कि  इससे दूध वाले के चिराग का धंधा भी चल निकलेगा।
चाय में अभी तक कालीमिर्च और लोंग नहीं डाली गई। अभी तय नहीं है कि यह काली मिर्च वाइएसआर ब्रांड होगी या तेलंगाना ब्रांड या फिर  अममा ब्रांड अथवा करूणा ब्रांड।  वैसे अममा खुद सांभर  बनाने वाली हैं इसलिए वे अपनी कालीमिर्च किसी को नहीं देंगी। उन्होंने वैसे थर्ड फ्रंट कैफै के लिए भी ये काली मिर्च संभाल रखी है। वैेसे मोदी खुद टीडीपी ब्रांड काली मिर्च और येदी ब्राड लोंग का उत्पादन कर रहे हैं। लिहाजा चखने के बाद स्वादानुसार बाकी चीजें डाली जाएंगी।
वैसे सुषमा और जेटली ब्रांड क्राकरी इस फिराक में है एन केन प्रकारेण जिन्हा ब्रांड आडवाणी पत्ती में नीतिश ब्रांड लेमन डाल दिया जाए। ताकि मोदी और राजनाथ की दूध वाली मीठी चाय के बजाय शुगरलैस सेक्यूलर ग्रीन टी बन जाए। कम से कम उन्हें मोदी की चाय तो नहीं बेचनी पड़ेगी।
इतने में चुनाव आयोग वाले दरोगा ने डंडा घुमाया दुकान चलाने का लाइसेंस कहां है। बिना अनुमति चाय बेचना मना है। सो अभी सभी सकते में हैं।

कांग्रेस का पप्पू कोला

उधर चाय और काड़े के बीच कांग्रेस कारर्पोरेशन कनफयूज  है कि वह मनकोला की जगह पप्पूकोला को मार्केट में उतारे या नहीं। जनता यह जान चुकी है कि यूपीए कारर्पोरेशन का मनकोला पीने से देश महंगाई, घोटालों और भ्रष्टाचार से वाइरल से जूझ रहा है। इसलिए जनता के विरोध के चलते उसने इस ब्रांड को मार्केट से हटा दिया है और नए ब्रांड पप्पूकोला को बिना पब्लिसिटी के चाय के सामने कांपीटिशन मेें उतार दिया है । पर चाय पीने वालों का तर्क है कि इसमे देर हो चुकी है पर कांग्रेस कारर्पोरशन का तर्क यह कि चाय और कोला में कैसा कंपेरिजन । सही है भैया

केजरी ब्रांड काड़ा

उधर मफलर फार्मेसी के केजरी ब्रांड कड़वे काड़े ने चाय और कोला वालों की धुकधुकी लगाई हुई है। उसका कहना है कि देश करप्शन और महंगाई के वाइरल से पीडि़त है इसलिए चाय और कोला के बजाय ईमानदारी का कड़वा काड़ा ही देश की सेहत के लिए सबसे अच्छा घरेलू उपाय है। पर जनता इसलिए कनफयूज है कि इस काड़े से खुद केजरी की खांसी दूर नहीं हो रही है देश की कैसे होगी। पर चाय वालों को लगता है कि कोला वालों ने चाय को टक्कर देने के लिए ही काड़े वाली कंपनी उतारी है।
यह सब चल ही रहा था कि बनारस वाले पंडितजी ने माहौल में होली की बनारसी भांग घोल दी। होली है,भई होली है,  मोदीजी बुरा न मानो होली है, मेरा दिल यूं अड़ा लडऩे को मांगे बनारस बड़ा। अब भांग उतर गई तो ठीक वरना मोदी चाय तो है ही।




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