मोदी लहर के भरोसे मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट, बिहार और यूपी में भाजपा नेता और प्रत्याशी इतने निश्चिंत हैं कि वे ठीक से प्रचार भी नहीं कर रहे हैं। यानी प्रत्याशियों, कार्यकर्ताओं और पार्टी कैडर को प्रचार को लेकर जितना संजीदा होना चाहिए उतने वे हैं नहीं। उन्हें लग रहा है कि इस बार तो हर सीट पर मोदी ही प्रत्याशी हैं इसलिए वोट मिलना तय है। हांलाकि इस बात में एक हद तक सच्चाई है। सिर्फ उन 150 सीटों पर ही प्रचार गंभीरता से चल रहा है जिनकी कमान संध के पास है। बाकी सीटें भाजपा के जिम्मे है। भाजपा के जिम्मे वाली सीटों पर पार्टी और कार्यकर्ता अति आत्मविश्वास में हैं। वे तो मानकर ही चल रहे हैं कि सरकार बन गई। जबकि अभी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने में 39 दिन बाकी हैं। इतने दिन को तख्तो-ताज बदलने के लिए काफी होते हैं।
मैं पेशे से पत्रकार-संपादक। मालवा की माटी में रचे-बसे इंदौर से पत्रकारिता का ककहरा सीखा। मध्यप्रदेश, राजस्थान, चंडीगढ़, गुजरात और छत्तीसगढ़ की खाक छानने के बाद अभी ठिकाना फिर से अपुन के इंदौर में । पिछले २ वर्षों से यहीं लंगर लगाए हैं। अगली मंजिल की तलाश हमेशा की तरह बदस्तूर जारी। संप्रति- स्थानीय संपादक डीबी स्टार इंदौर। यह दैनिक भास्कर समूह का टेबुलाइट और प्रीमियम प्रोडक्ट है। नोट- लाल किले से शीर्षक के तहत और फेसबुक पर लिखे गए लेख मेरे निजी विचार हैं। इन पर मेरा कापीराइट है
Translate
शनिवार, 5 अप्रैल 2014
लालकिले से (भाग-59)- मोदी लहर के भरोसे ओवर कान्फिडेन्स में भाजपा, प्रत्याशी प्रचार में लापरवाह, बेहतर टिकट वितरण से कांग्रेस की स्थिति में आंशिक सुधार
मोदी लहर के भरोसे मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट, बिहार और यूपी में भाजपा नेता और प्रत्याशी इतने निश्चिंत हैं कि वे ठीक से प्रचार भी नहीं कर रहे हैं। यानी प्रत्याशियों, कार्यकर्ताओं और पार्टी कैडर को प्रचार को लेकर जितना संजीदा होना चाहिए उतने वे हैं नहीं। उन्हें लग रहा है कि इस बार तो हर सीट पर मोदी ही प्रत्याशी हैं इसलिए वोट मिलना तय है। हांलाकि इस बात में एक हद तक सच्चाई है। सिर्फ उन 150 सीटों पर ही प्रचार गंभीरता से चल रहा है जिनकी कमान संध के पास है। बाकी सीटें भाजपा के जिम्मे है। भाजपा के जिम्मे वाली सीटों पर पार्टी और कार्यकर्ता अति आत्मविश्वास में हैं। वे तो मानकर ही चल रहे हैं कि सरकार बन गई। जबकि अभी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने में 39 दिन बाकी हैं। इतने दिन को तख्तो-ताज बदलने के लिए काफी होते हैं।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें