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मुस्लिम काहे के अल्पसंख्यक, असली अल्पसंखयक तो ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य हैं..
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मुस्लिम अपने आप को अल्पसंखयक कहते हैं, देश के राजनीतिक दल भी ऐसा ही मानते है पर वे कहीं से भी इस देश में अल्पसंखयक नहीं हैं। १३.५ करोड़ (१३.४ प्रतिशत) की आबादी के साथ ओबीसी (५३.४८ करोड, ५२ फीसदी ) और एसीएसटी (२३.१४ करोड, २२.५ फीसदी ) के बाद वे देश का तीसरा बहुसंख्यक समुदाय है। चूंकि देश का सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि हिन्दू धर्म नहंंी वे आफ लाइफ यानी जीवन शैली है इसलिए हिन्दू जीवन शैली को मामने वाले ये धर्म नहंी वरन अलग-अलग समुदाय हुए। इस हिसाब से ब्राह्ण, क्षत्रिय और वैश्य ६.१७ करोड़ (६ प्रतिशत) की आबादी के साथ देश में सबसे कम संख्या वाला पांचवा समुदाय है। इन्हें अलग औसतन देखे को एक समुदाय की आबादी २ करोड़ बैैठती है। चूंकि ईसाई, जैन, बौद्ध, सिख और अन्य अगड़ी जातियों की जनगणना में खास तौर पर गिनती होती है। इसलिए इनकी जनसंख्या सभी को पता है लेकिन ब्राह्ण, वैश्य और क्षत्रिय की गिनती नहंी होती। चौथे समुदाय के रूप में ईसाई,जैन, सिख आदि अगडी़ जातियां भी ६.२७ करोड़ (६.१प्रतिशत) है। अगर सामान्य वर्ग की सारी जातियों को जोड़ दिया जाए तो इनकी संख्या १२.१ प्रतिशत होती है। यानी मुस्लिमों से १.३ फीसदी कम। तो आप भी तय करें कि कौन बहुसंख्यक है और कौन अल्पसंख्यक।
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मंडल आयोग की मदद से निकाली ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य की संख्या
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ब्राह्मण, क्ष्त्रिय और वैश्य की जनसंख्या निकालने के लिए मैंने मंडल आयोग के अनुसार देश में जातियों के प्रतिशत के गणित का सहारा लिया। मैंने ११ की जनगणना को मंडल के जाति प्रतिशत के अनुसार बदलता। चूंकि जनगणना में ओबीसी, एससी, एसटी, ब्राह्ण, क्षत्रिय और वैश्य अलावा अन्य सभी के प्रतिशत दिए हैं। इससे गणना में काफी आसानी हुई। पहले जनगणना के अनुसार मुस्लिम, अन्य सामान्य वर्ग की आबादी को मंडल के आंकडे से मैच किया तो ब्राह्ण, क्षत्रिय और वैश्य की संख्या निकल आई। इसके बाद हिन्दू आबादी से ब्राह्ण, क्षत्रिय और वैश्य की आबादी घटा दी तो मंडल के अनुसार जनसंख्या और प्रतिशत दोनों समान आ गए। सिर्फ ०.१ फीसदी का माइनर अंतर आया। इससे एक बात और साबित हुई कि जनसंख्या के प्रतिशत को लेकर १९८० का मंडल कमीशन सही है और २००६ में हुआ एनएसएसओ का सर्वे गलत था।
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मंडल आयोग का जाति प्रतिशत यह कहता है
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मंडल आयोग की सिफारियों के अनुसार देश में ५२ प्रतिशत आबादी अन्य पिछड़ा वर्ग, २२.५ प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति यानी एससी एवं अनुसूचित जनजाति यानी एसटी और २५.५ आबादी अगड़ी जातियों की है। २००६ के नेशनल सेंपल सर्वे आर्गनाइजेशन के आंकडे इससे भिन्न हैं पर २०११ की जनगणनणा के हिसाब से जब आंकडों की तुलना करते हैं तो मंडल आयोग की सिफारिशों में दी गई जातियों का प्रतिशत सही बैठता है।
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मंडल के प्रतिशत को को २०११ की जनगणना में बदलें तो..
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मंडल आयोग की सिफारिशों के अनुसार देश में ५३.४८ करोड़ आबादी ओबीसी, २३.१४ करोड़ आबादी एससी, एसटी और २५.९२ करोड़ अगड़ी जातियों की आबादी है। अगड़ी जातियों में मुस्लिम, ब्राह्ण, वैश्य, ठाकुर, सिख, इसाई, बौद्ध, पारसी आदि शामिल हैं।
२०११ की जनगणना के अनुसार देश की कुल आबादी १अरब ३ करोड़ थी।
इसमें हिन्दू ८०.५ प्रतिशत, मुस्लिम १३.४ प्रतिशत, इसाई, सिख, जैन, बौद़्ध और अन्य मिलाकर ६.१ प्रतिशत होते हैं।
मंडल आयोग के अनुसार अगड़ी जातियों को प्रतिशत २५.५ है। २०११ की जनगणना के अनुसार मुस्लिम और अन्य अगड़ी जातियों जिनका कि जनगणना में स्पष्ट उल्लेख है का प्रतिशत जोड दें तो यह १९.५ प्रतिशत होता है। यानी अब शेष ६ फीसदी में बचे ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य। यानी २०११ की जनगणना में हिन्दुओं की जनगणना के ८०.५ प्रतिशत से यह ६ प्रतिशत घटा दिया जाए तो ओबीसी, एसी और एसटी की जनगणना सामने आ जाएगी। गनगणना में हिन्दुओं की कुल आबादी ८०.५ फीसदी बताई गई है इसमें से ६ प्रतिशत आबादी ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्यों की घटा दें तो बचता है ७४.५ प्रतिशत आबादी। यानी यह आबादी ओबीसी, एससी और एसटी की है। अब मंडल आयोग की सिफारिशों पर वापस आएं तो उसके अनुसार देश मं ५२ फीसदी ओबीसी और २२.५ फीसदी एससी, एसटी हैं। दोनों को जोड़ दे तो ७४.४ फीसदी आबादी होती है। यानी जातियों के गणित को लेकर मंडल आयोग का गणित बिल्कुल सही है और २००६ के नेशनल सेंपल सर्वे आर्गनाइजेशन के आंकड़े गलत हैं वे जनगणना से मेल नहंी खाते। जो .१ प्रतिशत का अंतर आ रहा है वह इस बात को साबित करता है कि मुस्लिमों की गणना १५ करोड़ के उपर है। मंडल और जनगणना का जैसे ही तुलना की ये खेल सामने आ गया।
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ये सारी बात अब टेबुलेशन फार्म में समझें
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देश में जातियों का गणित मंडल कमीशन के अनुसार
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मंडल कमीशन के जाति प्रतिशत को २००१ की जनगणना के अनुसार १ अरब ३ करोड़ की आबादी के हिसाब से बांट दिया है। यह इस प्रकार है।
१. अन्य पिछड़ा वर्ग - ५२.० प्रतिशत, कुल आबादी - ५३.४८ करोड़
२. एसटी और एसटी - २२.५ प्रतिशत, कुल आबादी - २३.१४ करोड़
३. अगड़ी जातियां - २५.५ प्रतिशत, कुल आबादी - २५.९२ करोड़
(नोट- अगड़ी जातियों में मुस्लिम, इसाई, सिख, जैन, ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय आदि शामिल हैं।)
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अगड़ी जातियों का गणित २०११ की जनगणना में मिलता है।
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१. मुस्लिम -१३.४ प्रतिशत, कुल आबादी -१३.८१ करोड़
२. अन्य अगड़ी जातियां -०६.१ प्रतिशत, कुल आबादी- ०६.२७ करोड़
३. (नोट- इसमें ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और अन्य जातियां शामिल हैं। ब्राह्मण, वैश्य और क्षत्रिय शामिल नहीं हैं।)
४. ब्राहण, वैश्य, क्षत्रिय -०६.० प्रतिशत, कुल आबादी- ०६.१७ करोड़
मुस्लिम और अन्य अगड़ी जातियों का प्रतिशत हो गया १९.५ प्रतिशत। मंडल आयोग के अनुसार अगड़ी जातियों का प्रतिशत २५.५ है इसमें जैसे ही मुस्लिम सहित अन्य अगड़ी जातियों का प्रतिशत यानी १९.५ घटाते हैं ब्राह्मण, वैश्य और क्षत्रिय का प्रतिशत आ जा जाता है। यानी ६ प्रतिशत।
इस विश्लेषण के आधार पर देश में अन्य पिछड़ा वर्ग बहुसंख्यक है। इसके बाद एससी, एसटी, फिर मुस्लिम और फिर जनगणना में दी गई अगड़ी जातियां और फिर सबसे अंत में ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य आते हैं तो आप ही तय करें कि इस देश में अल्पसंख्यक कौन है। कारण कि खुद देश की सुप्रीम कोर्ट कह चुकी है कि हिन्दू कोई धर्म नहीं वरन वे आफ लाइफ यानी जीवन जीने का तरीका है। इस हिसाब से ब्राहण, वैश्य, क्षत्रिय भी मुस्लिम, सिखों और जैनों की तरह अलग संप्रदाय हैं और ये अल्पसंख्यक हैं।
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अंतिम सूची कि कौन बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक
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१. अन्य पिछड़ा वर्ग - ५२.० प्रतिशत, कुल आबादी - ५३.४८ करोड़
२. एसटी और एसटी - २२.५ प्रतिशत, कुल आबादी - २३.१४ करोड़
३. मुस्लिम -१३.४ प्रतिशत, कुल आबादी -१३.८१ करोड़
४. अन्य अगड़ी जातियां -०६.१ प्रतिशत, कुल आबादी- ०६.२७ करोड़
५. ब्राहण, वैश्य, क्षत्रिय - ०६.० प्रतिशत, कुल आबादी- ०६.१७ करोड़
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TABLE 21: DISTRIBUTION OF POPULATION BY RELIGION
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All religious communities 1,028,610,328 100.0
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Religion Number %
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Hindus 827,578,868 80.5
Muslims 138,188,240 13.4
Christians 24,080,016 2.3
Sikhs 19,215,730 1.9
Buddhists 7,955,207 0.8
Jains 4,225,053 0.4
Others 6,639,626 0.6
Religion not stated 727,588 0.1
Source : only Religion, Census data %according to India 2001
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