पार्टी विथ डिफरेंस के नाम से स्वयं को प्रस्तुत करने वाली भाजपा में प्रधानमंत्री बनने के लिए परदे के पीछे अभी से यादवी संघर्ष छिड़ चुका है। लालकृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज की मंडली इस कोशिश में लगी हुई है कि किसी तरह भाजपा की सीटें १८० से ज्यादा न आएं। इससे प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी की दावेदारी खारिज की जा सकेगी। कारण कि मोदी के लिए ९० से १०० सांसदों का समर्थन जुटाना मुश्किल होगा। ये दोनों अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस की मदद कर रहे हैं या यूं कहें कि कांग्रेस ने आडवाणी के कंधे पर और आडवाणी ने जोशी के कंधे पर बंदूक रखकर मोदी पर निशाना लगाया है।
मैं पेशे से पत्रकार-संपादक। मालवा की माटी में रचे-बसे इंदौर से पत्रकारिता का ककहरा सीखा। मध्यप्रदेश, राजस्थान, चंडीगढ़, गुजरात और छत्तीसगढ़ की खाक छानने के बाद अभी ठिकाना फिर से अपुन के इंदौर में । पिछले २ वर्षों से यहीं लंगर लगाए हैं। अगली मंजिल की तलाश हमेशा की तरह बदस्तूर जारी। संप्रति- स्थानीय संपादक डीबी स्टार इंदौर। यह दैनिक भास्कर समूह का टेबुलाइट और प्रीमियम प्रोडक्ट है। नोट- लाल किले से शीर्षक के तहत और फेसबुक पर लिखे गए लेख मेरे निजी विचार हैं। इन पर मेरा कापीराइट है
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शुक्रवार, 28 मार्च 2014
लालकिले से (भाग-29) - भाजपा में यादवी संघर्ष- आडवाणी के कंधे पर कांग्रेस और जोशी के कंधे पर आडवाणी की बंदूक, सभी का निशाना मोदी
पार्टी विथ डिफरेंस के नाम से स्वयं को प्रस्तुत करने वाली भाजपा में प्रधानमंत्री बनने के लिए परदे के पीछे अभी से यादवी संघर्ष छिड़ चुका है। लालकृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज की मंडली इस कोशिश में लगी हुई है कि किसी तरह भाजपा की सीटें १८० से ज्यादा न आएं। इससे प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी की दावेदारी खारिज की जा सकेगी। कारण कि मोदी के लिए ९० से १०० सांसदों का समर्थन जुटाना मुश्किल होगा। ये दोनों अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस की मदद कर रहे हैं या यूं कहें कि कांग्रेस ने आडवाणी के कंधे पर और आडवाणी ने जोशी के कंधे पर बंदूक रखकर मोदी पर निशाना लगाया है।
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