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रविवार, 30 मार्च 2014

लालकिले से (भाग-50)- शिवसेना ने छेड़ा ध्रुवीकरण और हिंदुत्व का राग, कहा तुम मोदी को मारोगे तो क्या हम चुप बैठेगें


इस बयान से उन्होंने पहली बार दिखाए बाला साहेब वाले तेवर, जताया कि उनके विचारों के असली वारिस वे ही

सहारनपुर से कांग्रेस के प्रत्याशी इमरान मसूद के नरेन्द्र मोदी की बोटी- बोटी काटने की धमकी के मामले में जहां भाजपा कोई भी विवादित बयान देने से बच रही है वहीं शिवसेना ने इमरान मसूद के साथ कांग्रेस को करारा जवाब दिया है। शिवसेना के अखबार सामना में उद्धव ठाकरे के हवाले से लिखा गया है कि अगर तुम मोदी को मारोगे तो क्या हम मूकदर्शक बने रहेंंंंगे। हम शिवसैनिक हैं किसी से नहीं डरते।

कांग्रेस ने शिवसेना को दिया मुद्दा

कुल मिलाकर कांग्रेस ने घर बैठे ठाले भाजपा को ध्रुवीकरण का एक हथियार दे दिया है। भाजपा इस मामले में संयत से बयान दे रही है और चुनाव आयोग से कार्रवाई करवाने के मूड में है पर शिवसेना हाथ में आए किसी मौके को हाथ से जाने देना नहीं चाहती। इसलिए शिवसेना के मुखपत्र सामना में उद्धव ठाकरे के हवाले से इमरान मसूद को चेतावनी के साथ ध्रुवीकरण का राग छेड़ दिया गया है। इसी के साथ इसी न्यूज के साथ उद्धव ठाकरे के साक्षत्कार की पहली कड़ी भी दी गई है। इसमें उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगर बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा नहीं होती तो महाराष्ट्र का
मराठी मानुस और हिन्दुस्तान का हिंदू कभी के खत्म हो गए होते। यह पहली कड़ी है यानी अभी आग और बाकी है। कल  देखते हैं क्या कहते हैं।

बाला साहेब वाले तेवर में आए उद्धव

दरअसल उद्धव ठाकरे ने इस बयान से यह साबित करने की कोशिश की है कि उनमे भी बाला साहेब वाला ही तेवर है। बाला साहेब के निधन के बाद यह पहली बार है कि उद्धव ने पहली बार क्रीज से बाहर निकलकर छक्का लगाया है। इसका कारण यह भी है कि लोग बाला साहेब की छवि राज ठाकरे में देख रहे थे। यह बयान देकर उद्धव ने भी यह भी बताया है कि बाले ठाकरे और उनकी राजनीति के वे ही असली वारिस हैं न कि राज ठाकरे। पिछले दिनों लोकसभा चुनाव के प्रीपोल सर्वे में भी राज को उद्धव से अधिक लोकप्रिय और ठाकरे के विचारों का असली वारिस बताया गया था। इसमें यह भी बताया गया था कि संगठन नहीं होने से वे इसका फायदा नहीं उठा पा रहे हैं। चूंकि अभी लोकसभा और इसके साल भर बाद महाराष्ट्र में विधानसभा के भी चुनाव होंगे इसलिए मौका देकर उद्धव ने भी चौका मार दिया।



भाजपा और शिवसेना की मिली-जुली कुश्ती

इसमें भाजपा और शिवसेना की मिली-जुली कुश्ती भी हो सकती है। भाजपा ने यह तय कर लिया हो कि इस मामले में ऐसा कुछ नहीं कहेंगे जिससे भाजपा पर सांप्रदायिक उन्माद भडक़ाने का आरोप लगे इसलिए उसने इसलिए अपने पुराने सहयोगी को इस बारे में मोरचा संभालने का इशारा कर दिया।

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