भाजपा का मिशन २७२ प्लस में जहां पार्टी के ही वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज अडग़े डालने में लगे हैं वहीं मोदी दक्षिण में भी भाजपा के लिए नई संभावनाएं तलाशने में जुटे हैं। खासकर तमिलनाडु,आंध्र,तेलंगाना और कनार्टक में।
कनार्टक- लाख विरोधों के बाबजूद मोदी येदुरप्पा को भाजपा में लाए। बुधवार को हाईकोर्ट के भी खनन मामले में येदुरप्पा के खिलाफ एफआईआर खारिज कर दिया है। पिछले विधानसभा चुनाव में येदुरप्पा के काटे ८ फीसदी वोटों से ही भाजपा सरकार नहीं बना पाई। अब लोकसभा चुनाव में येदुरप्पा के आने से भाजपा को मोदी लहर के अलावा सीधे-सीधे आठ फीसदी वोटों का फायदा होगा। इससे भाजपा को २० सीटें तक मिल सकती हैं।
तमिलनाडु- जयललिता ने पहले वामपंथियों से गठबंधन किया और एक महीने में ही तोड़ दिया और अब वे बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से संपर्क में हैं। मोदी को इस बात का अहसाथ था कि जयललिता इनती आसानी से समर्थन नहीं देंगी। इसलिए उन्होंने वैकल्कि व्यवस्था पर काम शुरू कर दिया था। इसलिए उन्होंने तमिलनाडु की विपक्षी दल विजयकांत की पार्टी डीएमडीके से गठबंधन कर दिया। इसके अलाव वायके के एमडीएकके, रामदौस की पीएमके, एलजेके और केडीएमके भी इस गठजोड़ में शामिल हैं। यहां गठबंधन १० सीटें निकाल सकता है।
तेलंगाना- तेलंगाना बनने के बाद तेलंगाना राष्ट्रसमिति यानी टीआरएस ने कांग्रेस में मर्ज होने की सारी अटकलें खारिज कर दी है। अब टीआरएस या ता अलेके चुनाव लड़ेगी या बीजेपी के साथ गठबंधन करेंगी। टीआरएस प्रमुख चंद्रशेखर राव की बेटी कविता भाजपा से गठबंधन करने के पक्ष में हैं। पी पोल सर्वे के अनुसार यहां भाजपा के पास १० प्रतिशत वोट हैं। टीआरएस के पास कांग्रेस से ६ प्रतिशत वोट कम हैं। ऐसे में टीआरएस भाजपा के साथ आती है तो दोनों ही पार्टियों का फायदा है।
सीमान्ध्र- यहां से कांग्रेस का सफाया तय है। यहां सारी सीटें जगन मोहन रेड्डी की वायआरएस कांग्रेस, तेलुगुदेशम और भाजपा में बंटनी तय हैं। अगर चंद्राबाबू नायडू ने एनडीए से गठबंधन कर लिया तो फिर सीटें जगन और एनडीए में बंट जाएंगी। मुस्लिम वोटों के कारण जगन चुनाव से पहले तो एनडीए के साथ नहीं आएंगे पर बाद में आ सकते हैं।
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