लालकिले से (भाग-12) - मैं अरविंद केजरीवाल ईश्वर की शपथ लेता हूं कि मैं विधि द़वारा प्रस्थापित भारत के संविधान को सडक़ पर ला दूंगा
दिल्ली में सरकारी अराजकता, अराजकता, अनुच्छेद-356 के तहत बर्खास्त हो सकती है केजरीवाल सरकार, एक भी कानून का पालन नहीं किया
- केजरीवाल ने प्रतिबंधित रायसीना हिल्स क्षेत्र में धारा -144 को तोडा। यहां गणतंत्र दिवस समारोह की तैयारियों के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था है। लिहाजा इस तरह के आंदोलन से सुरक्षा में हुई जरा सी भी चूक बड़ी तबाही का सबब बन सकती है।
- लोगों को सरकार के एक हिस्से पुलिस के खिलाफ विद्रोह के लिए उकसाया और इसके लिए देशभर के लोगों से धरना स्थल रेलवे भवन के बाहर आने का आह्वान किया। यह सीधा-सीधा अराजकता हो आमंत्रण। भारतीय दंड संहिता के तहत यह राज्य के खिलाफ विद्रोह का मामला बनता है। शायद यही कारण है कि केन्द्र सरकार ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया। पूर्ण राज्य का दर्जा देने पर अगर दोनों सरकारें एक ही राजनैतिक दल की नहीं हुई तो टकराव हो सकता है। केजरीवाल ने आज धरने की जो नौटंकी की है उसके बाद तो दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने की रही सही संभावनाएं भी खत्म हो गई हैं।
- मैं अरविंद केजरीवाल ईश्वर की शपथ लेता हूं कि मैं विधि द्वारा प्रस्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा रखूंगा। रामलीला मैदान में ली गई पहली शपथ का यह वाक्य कैसे भूल गए अरविंद केजरीवाल।
- बजट में प्रावधान किए बिना बिजली और पानी बिलों में सब्सिडी की घोषणा कर दी। बेहतर यह होता कि बजट में इसका प्रस्ताव लाते और विधि के शासन के अनुसार काम करते।
- संविधान का अनुच्छेद-356 कहता है कि अगर किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो जाने या ऐसी स्थिति उतपन्न हो जाने जिसमें कि राज्य का शासन संविधान के अनुसार नहीं चलाया जा सकता तो राज्यपाल की सिफारिश पर वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। सोमवार को केजरीवाल ने जो किया अगर वह एक दो दिन और जारी रहता है या वहां भारी जनसमुदाय एकत्रित होता है तो संवैधानिक तंत्र विफल होने की स्थितियां बन सकती हैं। आईबी ने केन्द्र सरकार को बताया है कि वहां भारी जनसमूह एकत्रित कर पुलिस के खिलाफ विद्रोह करने की योजना है।
- अगर सरकार बच भी गई तो वित्त विधेयक पर सरकार का जाना तय है। अगर वित्त विधेयक गिर गया तो मुख्यमंत्री को जाना ही पड़ता है। बिन्नी के साथ चार विधायक हैं।े
- वैसे केजरीवाल खुद मुख्यमंत्री नहीं रहना चाहते वे ऐसा कुछ करना चाहते हैं जिससे कि वे लोकसभा चुनाव के पहले लोगों की संवेदना बटोर सकें। यदि राजनीतिक लाभ के लिए संविधान की शपथ भी सडक़ पर आती है तो आने दो।
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