रायबरेली से सोनिया गांधी के सामने भाजपा की फायर ब्रांड नेता और मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती चुनाव लड़ सकती हैं। सूत्रों ने बताया कि खुद उमा भारती की सोनिया गांधी के सामने चुनाव लडऩे की मंशा है। हाशिये पर जा रही उमा भारती ने खुद को मुख्यधारा में बनाए रखने के लिए यह फैसला किया है। उन्हें इस बात का डर है कि कहीं उन्हें भी हश्र अन्य सीनियर नेताओं की तरह नहीं हो जाए। शिवराज के अच्छे काम के चलते फिलहाल तो उनके लिए मध्यप्रदेश में भी जगह नहीं है। उल्लेखनीय है प्रमोद महाजन, सुषमा स्वराज, जसवंतसिहं ने उन्हें मध्यप्रदेश बदर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसी को ध्यान में रखते हुए अब उन्होंने यूपी में सक्रिय होने की योजना बनाई है। अगर वे सोनिया को हरातीं हैं तो इतिहास बन जाएगा। अगर हार भी गई तो भी पार्टी में उनका कद बढ़ जाएगा और संगठन में महत्वपूर्ण काम मिल जाएगा। उनकी निगाह यूपी के अगले विधानसभा चुनाव पर ही है। अपनी इस योजना को अमल में लाने के लिए उन्होंने बाबा रामदेव से चर्चा की। इसके बाद बाबा रामदेव ने बुधवार को भाजपा को सुझाव दे डाला कि वे सोनिया को चुनौती देने के लिए उमाभारती को मैदान में उतारें। सूत्रों का कहना है कि भाजपा भी इससे सहमत है। कोई बड़ी अड़चन नहीं आई तो इसकी घोषणा शीघ्र कर दी जाएगी। रायबरेली में लगभग डेढ़ लाख लोद वोट हैं। उमा भी इसी समुदाय की हैं। यह गणित भी उनके समर्थन में जाता है। पिछले चुनाव में सोनिया गांधी यहां से 3 लाख 72 हजार वोटों से जीती थीं। उमा झांसी के अलावा रायबरेली से बतौर दूसरी सीट चुनाव लड़ेगी। वैसे पूर्व सैनिकों और ठाकुरों के वोटों को देखते हुए संघ यहां पूर्व जनरल वीके सिंह को लड़ाना चाहता था, पर ऐसा हो न सका।
राहुल के सामने स्मृति ईरानी
राहुल के सामने प्रत्याशी कौन होगा,अभी तक तय नहीं है। यहां से सुब्रमह्यण स्वामी अथवा टीवी की बहू से भाजपा की नेता बनी स्मृति ईरानी अथवा नवजोतसिंह सिद्धू अथवा रामजन्मभूमि आंदोलन से जुड़े किसी बड़े नेता को उतारा जा सकता है। अवध में आने कारण भाजपा यहां से विहिप के एक बड़े नेता अथवा बजरंग दल के फायर ब्रांड नेता विनय कटियार अथवा रामजन्मभूमि आंदोलन से जुड़े किसी संत को भी उतार सकती है। वैसे स्मृति का नाम यहां से लगभग तय माना जा रहा है। उनकी गिनती मोदी के खास लोगों मे होती है। यहां राहुल 3 लाख 70 हजार वोटों से जीते थे। पर एक बात तय है कि यहां के प्रत्याशियों की घोषणा संघ से हरी झंडी मिलने के बाद ही होगी। दोनों सीटों पर जीत का अंतर पौने चार लाख वोटों का है इसलिए बराबरी के प्रत्याशी को ही उतारने की रणनीति है।
जैसे को तैसे की रणनीति
चूंकि मोदी के सामने बड़ौदा से कांग्रेस ने मधुसुदन मिस्त्री के रूप में ठीक ठाक चेहरा उतारा है। अब अगर कांग्रेस बनारस में मोदी और लखनउ में राजनाथ के सामने तगड़े प्रत्याशी उतारती है तो भाजपा भी फायर ब्रांड प्रत्याशी उतारेगी। अमेठी से उमा लगभग फायनल हैं। राहुल के सामने किरण बेदी को लड़ाने की भी बात चल रही है अगर किरण बेदी मान गईं तो उन्हें भी राहुल के सामने उतारा जा सकता है।
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