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शनिवार, 10 मई 2014

लालकिले से (भाग-97) - एक तरफा फैसलों से प्यादा आयोग के प्यादों में दो फाड़, नाराज होकर बाहर निकला एक प्यादा तब जाकर काशी में नियुक्त हुआ विशेष पर्यवेक्षक


कांग्रेस ने नरेन्द्र मोदी को पूर्ण बहुमत से रोकने के लिए अंतिम शस्त्र के 

तौर पर प्यादा आयोग को किया आगे
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कांग्रेस ने नरेन्द्र मोदी को पूर्ण बहुमत से रोकने के लिए अब प्यादा आयोग में अपने कुछ प्यादों को आगे कर दिया है। इससे प्यादा आयोग में दो फाड़ हो गए हैं। इसमें एक प्यादा सीनियर प्यादे की एक पक्षीय कार्रवाई से नाराज हैं। दो बड़े प्यादों में विवाद का कारण बूथ केप्चरिंग की घटनाओं की अनदेखी, किसी एक दल के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई करना, मोदी को अपने ही चुनाव क्षेत्र में प्रचार करने से रोकने जैसे विषय थे। इस बैठक में अपने सीनियर के अडियल रवैये को देखते हुए दूसरे प्यादे ने अपने गुस्से का इजहार किया और वे बैठक से बाहर निकल गए। इस नाराजगी के बाद बनारस में विशेष पर्यवेक्षक की नियुक्ति की गई। इस प्यादे का कहना है कि अगर आयोग ऐसे ही काम करता रहा तो हम जनता को क्या मुंह दिखाएंगे। प्यादों के विवाद की लीपापोती करने के लिए खुद एक सीनियर प्यादा खुद बाहर आया। मीडिया ने भी इस खबर को लगभग दबा ही दिया। यहां उल्लेखनीय है कि प्यादा आयोग के दो प्यादे पूर्व में उर्जा सचिव रह चुके हैं और उनमें से एक का नाम कोयला घोटाले से भी जुड़ रहा है। सूत्रों का कहना है कि कोयला घोटाले से बचाने का उपकार वे इस चुनाव में कांग्रेस को चुका रहे हैं।

प्यादा आयोग पर इसलिए उठ रही हैं अंगुलिया
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१. पूर्वी यूपी के माफिया डान मुख्यात अंसारी को चुनाव प्रचार करने के लिए शनिवार की शाम आगरा जेल से पैरोल पर छोड़ा गया। जब चुनाव प्रचार ही थम गया तो फिर प्रचार के लिए छोडऩे का क्या औचित्य। मलबल साफ है कि बूथ कैप्चरिंग और वोटिंग के लिए लोगों को डराने-धमकाने के लिए उसे छोड़ा गया है। प्यादा आयोग क्यों मौन है।
२. जिस इलाके में सुरक्षा कारणों से नरेन्द्र मोदी को रोड शो और सभा की अनुमति नहीं दी उस इलाके में राहुल गांधी और अखिलेश यादव को रोड शो की अनुमति कैसे मिल गई। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि राहुल की सुरक्षा नरेन्द्र मोदी से भी एक पायदान उपर की है।
३. देश में सवा करोड़ मतदाताओं के नाम मतदाता सूचियों से गायब। खाली प्यादा आयोग की माफी से काम नहीं चलेगा। दोषियों पर कार्रवाई कौन करेगा।
४. अमेठी में राहुल मतदान केन्द्र में घुसने के मामले में दोषी नहीं है यह खुद एक आला प्यादे ने खुद मीडिया को बताया। राहुल को क्लिन चिट देने की इतनी जल्दी क्यों थी।
५. बिहार, यूपी और पश्चिमी बंगाल में में बूथ कैप्चरिंग की सैकड़ों घटनाओं के बाद भी गिनती की ही सीटों पर पुर्नमतदान।
६. मध्यप्रदेश में चार बड़े कांग्रेस नेताओं को हार से बचाने के लिए उनके जिलों के निर्वाचन अधिकारियों को आनन-फानन में बदला गया।ं
७. बिहार में कई स्थानों पर हजारों मतदाताओं को वोट नहीं डालने दिया गया।
८. जम्मू कश्मीर के एक सितारा होटल में ईवीएम मशीनों से छेडछाड़।
९. नेताओं के बयानों के मामले में एक समान कार्रवाई नहीं।

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