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सोमवार, 31 मार्च 2014

लालकिले से (भाग-52)- यंग इडिया मांगे मोर -मंदिर नहीं रोजगार और रोटी चाहिए - ले तेरी कंठी ले तेरी माला, भूखे भजन न होई रामा (गोपाला)




संघ के मुखपत्र आर्गनाइजर और पांचजन्य ने देश के चुनावी मिजाज को समझने के लिए जो सर्वे किया उसमें लोगों ने मंदिर नहीं रोटी यानी रोजगार की चिंता की है। सर्वे का शीर्षक है- यंग इडिया मांगे मोर। इसमें कुछ भी नया नहीं है। हम थे जो इसे भूल गए थे। भारतीय समाज में प्राचीन काल से दादा-परदादा के माध्यम से कई कहावतें, दोहे प्रचलित हैं। इनमें से एक दोहे के संदेश में भूखे पेट भजन नहीं करने की बात कही गई है। कहा गया है कि- ले तेरी कंठी ले तेरी माला, भूखे भ्भजन न होई गोपाला। यानी भगवत भजन के लिए पेट भरा होना चाहिए। यह शब्दानुवाद है। भावानुवाद देखें तो यह मनुष्य के लिए आवश्यक बुनिवादी सवालों की ओर भी ईशारा करता है। जवाबदारियों को निभाने का भी संकेत करता है। यानी भजन करने से पहले स्वयं के पेट से लेकर समाज के प्रति अपने कत्र्तव्यों का निर्वहन करें। इसके बिना किया भजन ठाकुरजी कभी भी स्वीकार नहीं करते हैं।
यही बात संघ के सर्वे में भी सामने आई है। अगर घर में बेटे के पास रोजगार का साधन नहीं हो तो रिटायर्डमेंट के कगार पर खड़े पिता की हालत दुबले और दो आषाढ़ सी हो जाती है। अगर रोजगार योग्यता के अनुरूप नहीं हो परिवार में कई परेशानियां, विकार और मानसिक तनाव पैदा करता है।
सर्वे में रोटी-रोजी के बाद देश भर के लोगों ने 4 मुद्दों यथा- बिजली, पानी, सडक़ और स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी है। मतलब साफ है कि आजादी को 66 साल होने के बाद भी कांग्रेस देश को बुनियादी चीजें यथा बिजली, पानी, सडक़ और स्वास्थ्य उस अनुपात में नहीं दे पाई जिस अनुपात में उसे देना था। जहां-जहां भी खासकर राज्य सरकारों ने इस पर काम किया उन्हें व्यापक जन समर्थन मिला है। बिजली , पानी और सडक़ के मुद्दे पर 2003में कांग्रेस मध्यप्रदेश में चुनाव हारी थी। कारण कि दिग्विजयसिंह ने अपने दस साल के कार्यकाल में इन विषयों पर काम ही नहीं किया। उसके बाद कांग्रेस यहां से 2008 और 2013 में दो और विधानसभा चुनाव हार चुकी है। इसका कारण यह है कि दिग्विजयसिंह के बाद आई भाजपा सरकार ने इन विषयों पर कुछ काम किया। इस पर जनता ने उसे जनता ने हाथों हाथ लिया। यही हाल छत्तीसगढ़ का है। बिजली के क्षेत्र में वह आत्मनिर्भर ही नही वरन देश की बड़ी जरूरत को पूरा करने वाला राज्य बन जाएगा।
राजस्थान में जयपुर मिसाल है कि भैरोसिंह शेखावत के दौर में बनी योजनाओं के कारण आज जयपुर देश के सर्वश्रेष्ठ शहरों में से एक बन चुका है। बिहार में नीतिश ने कुछ काम किया तो जनता ने उसे सराहा। गुजरात तो इसका सबसे बड़ा उदाहरण है ही। लेकिन पूर्वी राज्यों यथा यूपी, बिहार, उड़ीसा, झारखंड, बंगाल में बिजली , पानी और सडक़ की स्थिति काफी खराब है। पानी तो जैसे तैसे मिल जाता है पर बिजली और सडक़ों के हालात काफी खराब है। केजरीवाल ने दिल्ली में बिजली और पानी पर सब्सिडी के वादों पर चुना जीत करकर इस विषय को नए सिरे से छेड़ दिया है।
कुल मिलाकर साफ है कि राममंदिर से पहले व्यक्ति को रोजी-रोटी, बिजली, पानी, सडक़ और स्वास्थ्य चाहिए। सेकुलरिज्म की राजनीति करने वालों को भी यह संदेश है कि देश के लोग विकास की ओर चलना नहीं दौडऩा चाहते हैं सरकारें उनकी ओर हाथ तो बढ़ाएं। यानी संघ से कई साल पहले मोदी ने इस चीज को समझ लिया था। चलो संघ ने देर से ही सही समझा तो। अगर इन पांचों मुद्दों के समाधान की दिशा में सार्थक प्रयास होते हैं तो देश में नए संदर्भाे में रामराज आएगा। जब रामराज आएगा तो मेरे रामजी ऐसे ही खुश हो जाएंगे। जब पेट भरा हो तो भजन भी अच्छा लगता है और मंदिर भी। बोलो जय रामजीकी।
http://epaper.organiser.org/epaper.aspx?lang=4&spage=Mpage&NB=2014-03-23#MPAGE_1














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