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शुक्रवार, 28 मार्च 2014

लालकिले से (भाग-21) - अंबानी को बचा रहे हैं केजरीवाल, 54 हजार करोड़ का संभावित घोटाला याद रहा पर हो चुके 150 हजार करोड़ के घोटाले पर कुछ नहीं कहा





शीर्षक पढक़र आपका चौंकना स्वाभाविक ही है। दरअसल केजरीवाल 54 हजार करोड के जिस घोटाले की बात कर रहे हैं वह अभी हुआ ही नहीं है हो सकता है। लेकिन 2007 से 2012 तक के 5 वर्षाे में इसी गैस खरीदी में हो चुके लगभग 150 हजार करोड़ रुपए के घोटाले पर उन्होंने प्रकाश नहीं डाला। इसके अलावा वे इस मामले की तब जांच करवा रहे हैं जब उनके पास जांच कराने का कोई भी संवैधानिक अधिकार ही नहीं है। दिल्ली का एंटी करप्पशन ब्यरों सिर्फ दिल्ली की राज्य सरकार के तहत हुए भ्रष्टाचार की ही जांच कर सकती है। यानी उनकी ओर से करवाई गई जांच विधिशून्य होगी। अर्थात उसकी कोई लीगल वेल्यू नहीं होगी। यानी फायदा कांग्रेस और अंबानी को और राजनीति फायदा केजरीवाल को। अगर आप केजरीवाल की प्रेस कान्फे्रंस को ध्यान से सुनें और उसका विश्लेषण करें तो यह घोटाला स्वयं ही आपके सामने आ जाएगा। इसके अलावा गैस की कीमतें तय करने का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है इसलिए केजरीवाल को ऐसे किसी मामले की चिंता नहीं करनी चाहिए जो कि उनके क्षेत्राधिकार का नहीं है।

4 हजार करोड़ का घोटाला अभी हुआ ही नहीं

रिलायंस से गैस खरीदी के दामों में जिस घोटाले की केजरीवाल बात कर रहे हैं वह अभी हुआ नहीं है हो सकता है। यानी केन्द्र सरकार की ओर से गैस के दाम 4 डालर प्रति यूनिट से बढ़ाकर 8 डालर प्रति यूनिट किए जाने हैं। केजरीवाल के अनुसार ये दाम 1 अप्रैल से बढ़ सकते हैं। इसमें कितना सच है ये वे ही जानें। मान लें कि ऐसा हो गया तो केन्द्र सरकार को सालाना 54 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होगा। यह घोटाला संभावित है और इसके रोका जा सकता है। यानी दाम नहीं बढ़ाए तो यह घोटाला नहीं होगा।

150 हजार करोड़ के घोटाले का क्या

इससे पहले गैस खरीदी के 2007 से 2012 तक के 5 वर्षों के लिए दाम 1.86 डालर प्रति यूनिट से बढ़ाकर चार डालर प्रति यूनिट कर दिए गए थे। यानी केन्द्र सरकार ने रिलायंस को हर साल लगभग 30 हजार करोड़ का भुगतान ज्यादा किया है। यानी 5 वर्षों में कुल 150 हजार करोड़ का घोटाला हुआ है। केजरीवाल को 150 हजार करोड़ का हो चुका घोटाला याद नहीं रहा वरन भविष्य में हो सकने वाला 54 हजार करोड़ का घोटाला याद रहा ।केजरीवाल को कार्रवाई का अधिकार नहींकिसी भी भ्रष्टाचारी को किसी भी हालत में बख्शना नहीं चाहिए लेकिन तथ्य यह है कि दिल्ली सरकार को केन्द्र सरकार से जुड़े महकमों के भ्रष्टाचार के किसी मामले की जांच या कार्रवाई का अधिकार नहीं है। इसके लिए शीघ्र ही बनने वाले लोकपाल, सीवीसी, सीबीआई और दिल्ली पुलिस को ही जांच और कार्रवाई का अधिकार है। यानी केजरीवाल जो जांच करवाएंगे वह विधिसम्मत नहीं होगी। ऐसे में उसका फायदा कांग्रेस और मुकेश अंबानी हो ही मिलेगा। इसके बदले आम आदमी पार्टी को जो चुनावी फंड मिलेगा वो अलग।
@@@ केजरीवाल को पता नहीं है रूल आफ ला को
केजरीवाल केन्द्र के अधिकार क्षेत्र में दखल देकर संविधान का मखौल उड़ा रहे हैं। यह केन्द्र-राज्य के बीच टकराव का कारण बन सकता है। संघ सूची के अनुसार केजरीवाल केन्द्र के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं दे सकते हैं। यह असंवैधानिक है। भ्रष्ट लोगों को किसी भी सूरत में बख्शना नहीं चाहिए पर संविधान ने कानून के शासन की भावना के अनुरूप कुछ नियम तय किए हैं उन्हें तोडऩे की अनुमति न केजरीवाल हो है और न ही अन्य किसी को।

पहले लोकपाल के बनने का इंतजार करते

यानी सारा मामला अंबानी और कांग्रेस को बचाने और सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का है। अगर केजरीवाल सचमुच गैस घोटाले में भ्रष्ट नेताओं, अफसरों और उद्योगपतियों को सजा दिलवाना चाहते हैं तो वे देश के पहले लोकपाल की नियुक्ति का इंतजार करें। इसकी नियुक्ति चुनाव के बाद हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट में भी मामला लंबित है वहां से भी दूध का दूध और पानी का पानी होगा। अब आप पीपली लाइव के नत्था बनने पर तुले ही हुए हैं तो कोई क्या कर सकता है।


यह मामला कोई नया नहीं है

यह मामला सबसे पहले सीएजी की रिपोर्ट से सामने आया। उसके बाद मुरली मनोहर जोशी ने इस मामले को संसद में पहली बार उठाया। पूर्व सचिव सरमा ने भी प्रधानमंत्री को इस बारे में पत्र लिखा। इसी मामले में कम गैस उत्पादन करने पर रिलायंस पर सौ करोड़ का जुर्माना लगाने वाले तत्कालीन पैट्रोलियम मंत्री जयुपाल रेड्डी की कुसी जा चुकी है। आज से पहले भी केजरीवाल इस मामले को उठा सकते थे।

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