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शुक्रवार, 28 मार्च 2014

लालकिले से (भाग-23) - केजरीवाल झूठों का सरदार निकला, जाते-जाते अनिल अंबानी की बिजली कंपनी को 374 करोड़ दे गया, पांच हजार करोड़ नहीं मांगे सो अलग


इस्तीफा देने से पहले विधानसभा में लाइव भाषण में केजरीवाल ने देश की जनता से जों झूठ बोले, गुमराह किया उसने सभी को पीछे छोड़ दिया। केजरीवाल इस मुगालते में है कि जनता में परसेप्शन है कि वे जो बोलते हैं उसे जनता सच मानती है। जाते-जाते केजरीवाल मुकेश अंबानी के भाई अनिल अंबानी की कंपनी को 374 करोड रुपए का तोहफा दे गए। बिजली कंपनी से दिल्ली सरकार को जो 5 हजार करोड़ रुपए लेने थे उसका तो कोई जिक्र ही नहीं है। आज केजरीवाल के संविधान के ज्ञान ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि ऐसे आदमी को रमन मैगसेसे अवार्ड कैसे मिल गया। देखें केजरीवाल के आज बोले गए 3 झूठों की एक बानगी और सच्चाई का संविधान और विधानसभा के अनुसार उत्तर। 

केजरीवाल का झूठ 1- मैंने संविधान पढ़ा है। संविधान के अनुच्छेद 239 एए (सी) में कहीं नहीं लिखा है कि विधानसभा के पटल पर किसी भी विधेयक को रखने के लिए राज्यपाल की अनुमति आवश्यक है।
संविधान की हकीकत- केजरीवाल ने सिर्फ अनुच्छेद- 239 पढ़ा। अनुच्छेद 207 नहीं पढ़ा। जिसमें स्पष्ट उल्लेख है कि किसी भी राज्य में अनुच्छेद 199 के विषयों (इसमें वित्तीय स्वीकृतियां या भार के संबंध में अनुमति) से संबधित विषय का विधेयक या संशोधन राज्यपाल की सिफारिश के बाद ही प्रस्तावित किया जाएगा। अन्यथा इसे विधानसभा के पटल पर नहीं रखा जा सकेगा।
राज्यपाल की आपत्ति- दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग ने विधानसभा अध्यक्ष को इस संबंध में पत्र लिखकर कहा था कि इस विधेयक में वित्तिय प्रावधान भी हैं। कारण कि लोकपाल का बड़ा सिस्टम बनेगा। इसमें केन्द्र से वित्तिय सहायता मिलेगी। इसलिए अनुच्छेद-207 के तहत उप राज्यपाल की अनुमति आवश्यक है। इसलिए इसे विधानसभा के सामने पढक़र सुनाया जाए।
सदन में आपत्ति स्वीकार- सदन ने राज्यपाल की आपत्ति को 27 के मुकाबले 32 वोट से स्वीकार कर लिया। यानी इस विधेयक को सदन के पटल पर नहीं रखने का फैसला किया। वैसे इस पर वोटिंग ही गलत थी। स्पीकर को संविधान केअनुच्छेद-204 के तहत खुद ही बिल को सदन के पटल पर लेने से मना कर मुख्यमंत्री को निर्देश देने थे कि वे बिल को प्रापर तरीके से लाएं।

केजरीवाल का झूठ 2- भाजपा और कांग्रेस ने मिलकर लोकपाल विधेयक गिरा दिया।
संविधान की हकीकत- विधेयक को जब सदन चर्चा के लिए स्वीकार कर लेता है और उस पर वोटिंब होती है और उसमेंं विधेयक को बहुमत नहीं मिलता तो उसे कहते हैं विधेयक गिर गया या गिरा दिया गया। यहां तो उप राज्यपाल ने स्पीकर को विधेयक स्वीकार नहीं करने का अनुच्छेद-204 के तहत निर्देश दिया था। इस पर स्पीकर राजनीति खेल गए।

केजरीवाल का झूठ ३- मुकेश अंबानी को बचाने के लिए भाजपा और कांग्रेस एक हो गए।
विधानसभा की हकीकत- मुकेश अंबानी के भाई अनिल अंबानी की बिजली कंपनी को फायदा देने के लिए 374 करोड़ का वित्त विधेयक पास कर दिया। अगर कांग्रेस और भाजपा समर्थन नहीं करते तो ये विधेयक पास नहीं हो पाता। इसके पास होने से बिजली की सब्सिडी के 374 करोड़ रुपए अनिल अंबानी की बिजली कंपनी को मिलेंगे। दूसरी को दिल्ली सरकार को अनिल अंबानी की बिजली कंपनी से 5 हजार करोड़ रुपए लेने थे। 31 दिसंबर को केजरीवाल ने कहा था कि सब्सिडी की रकम लेनदारी के पेटे एडजेस्ट की जाएगी। ऐसे में मुकेश अंबानी के जरिये भाजपा और कांग्रेस को घेरेने में लगे केजरीवाल खुद सवालों के घेरे मे है। उनके सारे झूठ बेनकाब।

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