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शुक्रवार, 28 मार्च 2014

लालकिले से (भाग-25) - फोर्ड फाउंडेशन करता है सीआईए की मदद और हेनरी फोर्ड का पड़पोता अल्फेड फोर्ड उर्फ अंबरीशदास बन चुका है वैष्णव हिन्दू



अमेरिकी गुप्तचर एजेंसी सीआईए से जुड़ी संस्था फोर्ड फाउंडेशन आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसौदिया के एजीओ कबीर को करोड़ों की आर्थिक मदद करके इन दिनों विवादों में है। सीआईए दुनिया भर के देशों के एनजीओ को फोर्ड फाउंडेशन के मार्फत  मदद करती है और उनसे अमरिकी हितों का एजेंडा लागू करवाती है, उसके लिए माहौल और लोगों को तैयार करती है। दरअसल फोर्ड फाउंडेशन कार निर्माता कंपनी फोर्ड संचालित एक संस्था है। इसका लक्ष्य है दुनिया भर में अच्छे कामों के लिए मदद करना है। दरअसल फाउंडेशन इसकी आड़ में दुनिया भर में अमेरिकी हितों की रक्षा करता है।
इस सब के बीच यह तथ्य सर्वाधिक चौंकाने वाला है कि अमेरिकी उद्योगपति हेनरी फोर्ड के  पड़पोते अल्फेड फोर्ड भारत आकर हिंदू बन चुके हैं। वे वैष्णव पंथ की  दीक्षा ले चुके हैं। उनका भारतीय नाम अंबरीशदास है। उनका विवाह जयपुर राजघराने के पूर्व प्रधानमंत्री की बेटी शर्मिला भट्टाचार्य से हुआ।  वे इस्कान और अपनी पत्नी के माध्यम से हिन्दू संस्कृति से जुड़े। आपको यह भी बता दूं के अल्फेड यानी अंबरीश वैष्णव बनने के बाद मांस-मंदिरा को दूर, प्याज और लहसन भी नहीं खाते। बंगाल के मायापुर में बनने वाले विशालतम इस्कान मंदिर के लिए अंबरीश ने ४०० सौ करोड़ का दान दिया है। ऐसे में फोर्ड फाउंडेशन की कार्यपद्धति और उनके मालिक की कार्यपद्धति एकदम विपरीत नजर आती है और समझ से भी परे है।

दरअसल फोर्ड फाउंडेशन की मदद से सीआईए ने एशिया के देशों में में १९५० के दशक से ही हस्तक्षेप करना आरंभ किया था । इसकी शुरूआत की उसने मनीला से। १९५३ में सीआईए ने  फिलिपाइन्स या फिलिपिंस के चुनाव को अपने हाथों में ले लिया। उस समय के राष्टपति क्वायरिनो की छवि को चारितत्रक आधार पर खराब कर उसने रेमन डेल फैरारो मैगसेसाय को ईमानदार छवि के साथ गढ़ा और खड़ा किया और अंतत: उन्हें राष्ट्रपति बनवा ही दिया। मैगसेसाय का कोई खास राजजैतिक इतिहास नहीं था। इससे पहले वे लिबरल पार्टी से जुड़े हुए थे।
मैगसेसाय की छवि चकमकाने, उन्हें एक अन्य नाचिओनालिस्टा पार्टी का प्रत्याशी बनाने और उसे जिताने में अमेरिका ने तब के १०० करोड़ रूपए  खर्च किए थे। यह आपरेशन सीआईए प्रमुख एलन डाउल्स की अगुवाई में एडवर्ड लैंडस्लेज ने अंजाम दिया था। एक अमेरिकी अखबार को १९७२ में दिए साक्षात्कार में  लेंडस्लेज ने इसकी पुष्टि की थी। १९५७ में एक विमान दुर्घटना में मैगसेसाय की मृत्यु हो गई।
इसके बाद अमेरिका ने फोर्ड फाउंडेशन और राकफिलर फाउंडेशन की मदद से मैगसेसाय अवार्ड शुरू किया। आयडिया सीआईए का था। ये अवार्ड शासकीय सेवा, लोकसेवा, सामुदायिक नेतृत्व, पत्रकारिता, साहित्य, क्रियेटिक कमयुनिकेशन और उभरते नेेतृत्व जैसे तय विषयों के लिए हर साल संबधित क्षेत्र के व्यक्त्यिो को दिए जाते हैं। ये पुरस्कार इसलिए आरंभ किए गए ताकि एशिया में अमेरिकी नीतियों के समर्थक कार्यकर्ता और उनका कुनबा तैयार हो सके । इनकी मदद से अमेरिका एशिया के देशों में अपना कमयुनिकेशन और फीडबैक नेटवर्क चलाता है। जासूसी के लिए ये दोनों ही सबसे महत्वपूर्ण तथ्य हैं। इससे यह भी पता चलता है कि सेवा, लोकतंत्र और संस्कृति की आड़ में सीआईए किस तरह सक्रिय है।
सीआईए फोर्ड फाउंडेशन, मदद पाने वाल एनजीओ और मेगसेसाय अवार्ड पाने वाले लोगों की मदद से शिक्षा, संस्कृति, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, लोकतंत्र और भ्रष्टाचार के नाम पर अराजकता फैलाने का काम करता है। ताकि अमेरिकी हित सुरक्षित रहें। ४ अप्रैल १९५७ को लिखे सीआईए प्रमुख के पत्र के मालूम पड़ता है कि इस पुरस्कार को प्रारंभ करने में सीआईए की महत्वपूर्ण भूमिका थी।

(१.सीआईए के पत्र के दो पेज पोस्ट के साथ हैं। इनसे आपको, सीआईए, फोर्ड फाउंडेशन और मेगसेसाय अवार्ड के बीच आपसी रिश्ते समझने में मदद मिलेगी। 




२.दूसरा भ्फोटो अल्फेड फोर्ड उर्फ अंबरीश दास है जो पूजा के वस्त्रों में है।



३.तीसरा फोटो शमिला भट्टाचार्य फोर्ड और अल्फेड फोर्ड उर्फ अंबरीशदास का है।)






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