Translate

शुक्रवार, 28 मार्च 2014

लालकिले से (भाग-41) - सोनिया के दुर्गावतार और सचिन को भगवान कहने पर शंकराचार्यजी का मौन रहना समहति तो नहीं?




शंकराचार्य बनने के लिए पहली पात्रता है ब्राह्मण होना, वो मैं हूं। भारदवज, पंचप्रवर। गोरक्षनाथ महाराज की समृद्ध परंपरा है मेरे परिवार के पास। शिखा भी रखता हूं। यज्ञोपीवत दीक्षा ८ साल की उम्र में ही हो चुकी थी। शंकराचार्य इतना तो नहीं पर फिर भी अपनी ज्ञान की प्यास को शांत करने के लिए वेद, पुराण, उपनिषद,भाष्य आदि सब पढ़े हैं। थोड़ी-बहुत संस्कृत भी आती है। शंकर के अवतार सैम महाराज हमारे कुलदेव हैं। यानी प्रयास किए जाएं तो मेरे परिवार से भविष्य में कोई भी शंकराचार्य बन सकता है। यह सब मैं आपको इसलिए बता रहा हूं कि मुझे शारदामठ के शंकराचार्य परमपूज्य स्वरूपानंद सरस्वती महाराज से कुछ प्रश्न पूछना है। हर-हर मोदी पर उन्होंने आपत्ति ली। ठीक है। हिन्दू धर्म से सबसे बड़े धर्माचार्य हैं वे। उनका तर्क था कि यह महादेव का अपमान है, व्यक्तिवाद को बढ़ावा देना है। उनकी बात सही है पर क्या वे इन बातों के उत्तर देंगे। अबर वे इन बातों का उत्तर दे देते हैं तो मोदी के खिलाफ 100 लेख लिखने का मैं उनको वचन देता हूं।
१. व्यक्ति पूजा का तो सबसे बड़ा उदाहरण तो खुद शंकराचार्य हैं। किसी मंच पर बैठने से पूर्व मंत्रोच्चार के साथ उनका आह्वान होता है, जैसा कि हम पूजा से पहले करते हैं। अगर शंकराचार्य सचमुच व्यक्ति पूजा के विरोधी हैं तो उन्हें सबसे पहले अपनी पूजा बंद करवानी चाहिए।
२. उनकी प्रिय पार्टी के लोग जब सोनिया गांाधी को दुर्गा के अवतार वाले फोटो जारी करते हैं तो वे इस पर नाराज क्यों नहीं होते।
३. सचिन को जब भगवान का दर्जा दिया गया तो उन्होंने यह क्यों नहीं कहा कि यह व्यक्ति पूजा बंद करो।
४. देश में कश्मीरी पंडितों के ५ लाख परिवार आज भी अपने देश में शरणार्थी की तरह जीवन जीने को विवश हैं। इस पर पर उनका दिल आज तक क्यों नहीं पसीजा। कहते हैं संत की कोई जात नहीं होती पर सोचें तो वे जिस ब्राह्मण समाज में वे जन्मे उसी के लोग देश में शरणार्थी बने बैठे हैं, क्या उन्हें अच्छा लगता है। कांग्रेस से आपके अच्छे संबंध हैं तो इनके लिए आपने कुछ करवाया क्यूं नहीं। इनके लिए आप कब आवाज उठाएंगे।
५. हिन्दू पंथ में व्याप्त जातिप्रथा के कारण लाखों हिन्दूओं ने मुस्लिम और ईसाई धर्म अंगीकार कर लिया। इसे रोकने के लिए आपने आवाज क्यों नहंी उठाई।
६. गौहत्या रोकने के लिए जगद्गुरू शंकराचार्य करपात्रीजी महाराज के आंदोलन में केन्द्र की कांग्रेस सरकार के इशारे पर की गई पुलिस की गोलीबारी से ढाई से भी अधिक संत मारे गए थे। आप कांग्रेस से करीबी हैं तो क्यों गोहत्या पर बंदिश नहीं लगवाते। देश से बूचडख़ानों में गायों का बेरहमी से कत्ल हो रहा है।
७. देश की बालाएं बलात्कार का शिकार हो रही हैं, भ्रूण हत्याएं लगातार हो रही हैं। जिहाद फार लव की आड़ में उन्हें धर्म परिर्वतन करने को मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसे में हिन्दू धर्म के सर्वोच्य धार्मिक गुरू होने के नाते क्या आपका फर्ज नहीं है कि आप समाज में चेतना लाने के लिए आगे आएं।
८. आतंकवाद और नक्सलवाद की बेदी पर सैकड़ों भारतीय बलि चढ़ रहे हैं क्या आपका कत्र्तव्य नहीं बनता कि इसके लिए समाज में जन चेतना लाएं।
९. कुमार विश्वास जब भोलेनाथ का उपहास उड़ाते हैं तो कहां जाती है हिन्दू धर्म के प्रति आपकी चेतना।
१०. जब ओबेसी सीता और हनुमान को लेकर अमार्यदित टिप्प्णी करते हैंतो क्यों उनकी आवाज मठ से बाहर नहीं आती।
११. मुम्ब्ई से सपा के टिकट पर चुनाव लडऩे वाले कमाल खान कहते हैं कि वे कुभ में मेले में नहा रही हिन्दू औरतों को देखने के लिए जाते हैं। क्या यह हमारी माता-बहनों का अपमान नहीं है।
१२. अयोध्या में कार सेवकों पर गोलिया चलीं, गोधरा की ट्रेन में कारसेवक जले,सैकड़ों घर टूट गए पर नहीं टूटा तो आपका मौन।
१३. हुसैन ने कई बार अपने चित्रों से देवी के सम्मान को तार-तार किया पर आप नहीं जागे।
सरस्वतीजी हमारा सनातन धर्म इतना भी संकीर्ण नहीं है कि कुछ लोगों के हर-हर मोदी, घर-घर मोदी के नारे लगाने से वह संकट में आ जाए। और कम से कम मेरे भोलेनाथ तो ऐसा कदापि नहीं मानते। वे तो भोल हैं, भाव देखते हैं। अगर मोदी भक्तों का भाव पवित्र है तो लगाने दीजिए नारा। मेरे भोले बाबा को कोई फर्क नहीं पड़ता।









चलो आप उपर लिखे मुद्दों पर मौन भी रहे पर बिना किसी स्वार्थ से हर-हर मोदी पर आपत्ति लेते तो सभी को यह शिरोधार्य होता पर आप तो कांग्रेस और खासकर अपने चेले मिस्टर भंटाढार के कहने पर यह सब कर रहे हैं। इससे तो लगाता है कि वह आपका चेला नहीं वरन गुरू है। अब तो यह खबर भी आ रही है कि मिस्टर भंटाढार भी काशी से चुनाव लडऩे जा रहे हैं। कहीं इस नारे ने उन्हें परेशानी न हो जाए इसलिए तो आपने हर-हर मोदी वाले नारे का विरोध नहीं किया है।
वैसे मोदी से इन शंकराचार्यजी को खास प्रेम है। मध्यप्रदेश में जब एक पत्रकार ने शंकराचार्यजी से मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बारे में सवाल पूछा तो उन्होंने उसे थप्पड़ जड़ दिया। यह दर्शाता है कि वे मोदी से कितना प्रेम रखते हैं। दूसरा मोदी कभी भी उनके दर पर नहंी जातै
वैसे भी करपात्रीजी महाराज के बाद समाज को चेतना देने वाले शंकराचार्य नहीं हुए हैं। पुरी पीठाधीश्वर निश्चलानंद सरस्वती और कांचिकामकोटि पीठाधीश्वर जयेन्द्र सरस्वती जरूर समाज के विकास के लिए कुछ कर रहें हैं। बाकी शंकराचार्य को मठाधीश बने बैठे हैं। आदिगुरू शंकराचार्य ने तो देश की एकता के लिए देश के चार कोनों में चार पीठें स्थापित की थी पर यहां तो दो दर्जन से अधिक शंकराचार्य मठाधीश बने बैठे हैं। चूंकि सोनिया के दुर्गावतार और सचिन को भगवान कहने पर सरस्वतीजी ने कुछ नहीं कहा यानी इसे उनकी मौन स्वीकृति कहा जा सकता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें