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शुक्रवार, 28 मार्च 2014

लालकिले से (भाग- 43) - दो हिन्दूवादियों को मोदी को निपटाने की राजनीतिक सुपारी



कांग्रेसी शंकराचार्य के बाद हिन्दूवादी दो नेताओं को कांग्रेस ने मोदी को निपटाने की सुपारी दी है। गुजरात दंगे, सेकुलर कार्ड, स्नूप गेट कांड और गुजरात के कथित विकास के मुद्दे पर मोदी को घेरने की कोशिश में बुरी तरह विफल हो चुकी कांग्रेस ने अब दो हिन्दू नेताओं को मोदी को राजनीतिक तौर पर निपटाने की सुपारी दी है। ये हर-हर मोदी के मुद्दे पर कुछ कर पाते इससे पहले ही संघ, भाजपा और मोदी ने स्वयं को इस नारे से अलग कर दिया। अब ये गोधरा ट्रेन कांड के लिए लिए मोदी को जिम्मेदार ठहरा सकते हैं ताकि उन्हें हिन्दू विरोधी शामिल कर कुछ वोट कम किए जा सकें। हमारे गांधीनगर के सूत्रों का कहना है कि मोदी को कांग्रेस के इस प्लान की भनक लग चुकी है और वे सक्रिय हो गए हैं। प्रोजेक्ट की लागत है 300 करोड़ रूपए। यहां बिना नाम दिए संकेतों में इन दो हिन्दू नेताओं का जिक्र कर रहा हूं।

1 त्रिशूल वाले भाईजी

गुजरात के त्रिशूल ब्रांड भाईजी भी मोदी से हिसाब-किताब चुकता करने के मूड मे हैं। 2007 के विधानसभा चुनाव में संघ से मिलकर मोदी ने इन्हें गुजरात निकाला दिलवा दिया था। दरअसल मरीजों को ठीक करने वाले इन भाइजी और उनके समाज से जुड़े नेताओं ने सूरत के पास करोड़ों की जमीन में इनवेस्टमेंट कर रखा था। ये लोग चाहते थे कि मोदी उस जमीन को खेती से बजाय आवासीय करवा दे, लेकिन मोदी ने ऐसा नहीं होने दिया। इसलिए हिन्दूओं के संंगठन के नाम पर राजनीति करने वाले इस नेता के कहने पर भाजपा में ही उनकी जाति के लेाग मोदी के खिलाफ हो गए। आरोप था कि मोदी तानाशाह हैं, संघ परिवार को खत्म करने पर तुले हैं। दरअसल पेट में दर्द तो जमीन उस जमीन का और उस कालोनी बनाने से होने वाले करोड़ों के फायदे का था।

2 पुत्रवधू मोह और करोडों की माया
जब मोदी ने भाईजी को चुनाव के दौरान गुजरात निकाला दिलवा दिया तो राजस्थान से एक हिन्दूवादी आचार्यजी को मोदी के समर्थन में प्रचार के लिए लाया गया। अब सुनते हैं कि मोदी के खिलाफ माहौल बनाने के लिए कांग्रेस इन आचार्यजी को भी मोर्चे पर लगाने वाली है। अब पुत्रवधु मोह जो ठहरा। कांग्रेस इन पर काफी दिनोंसे डोरे डाल रही थी। इसी कड़ी में उनकी बहू को पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने टिकट भी दिया था। यह बात अलग है कि वे हार गईं। वैसे चार राज्यों के विधानसभा चुनाव से आचार्यजी की चुप्पी भी रहस्यों में है। अभी भी बहूरानी के पास कांग्रेस का एक बड़ा पद है। अब बुढ़ापे में आचार्यजी भी पुत्रवधू मोह में मोदी की मुखालिफत करेंगे ऐसा मुझे नहीं लगता पर माया तो महाठगिनी है कुछ भी हो सकता है। माया अगर करोड़ों की हो तो फिर कुछ भी हो सकता है। वैसे ये आचार्यजी सिंधिया परिवार से प्ररेणा लेने वाले लगते हैं। खुद फायर ब्रांड हिन्दू नेता, बेटा भाजपा में और बहू भी कांग्रेस में। शायद ऐसे ही लोगों के लिए यह कहावत बनी होगी कि- कोउ नृप होई हमें का हानि।

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