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बुधवार, 2 अप्रैल 2014

लालकिले से (भाग-54) 1- 976 तक संविधान में सेकुलरज्मि शब्द नहीं था फिर भी हम सेकुलर थे, मुजफ्फरनगर दंगों की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने बताया सही मतलब


(सेकुलरज्मि का इतिहास, भारतीय संदर्भ और संविधान के अनुसार उसका अर्थ पर हम श्रृंखला- लालकिले से के भाग 51 में चर्चा कर चुके हैं अब आगे।)
सेकुलरज्मि और इसके सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरनगर दंगों के मामलों की सुनवाई के दौरान यूपी सरकार को फटकार लगाते हुए सेकुलरज्मि का सही अर्थ समझाया। जब सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा कि दंगा पीडि़तों को मुआवजा देने के लिए यूपी सरकार उसके सामने सूची पेश करे। इस पर यूपी सरकार ने केवल मुस्लिम दंगा पीडि़त की सूची सौंपी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि- अन्य दंगा पीडि़तों (जाटों)के नाम इस सूची में क्यों नही ंहै। हमारा संविधान सेक्यूलर है इसलिए राज्य धर्म के आधार पर सहायता देने में भेदभाव नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट की इस व्यवस्था के बाद जाट दंगा पीडि़तों के नाम मुआवजा सूची में शामिल किए गए।
इस फैसले से जानें सेकुलर मतलब- - राज्य का कोई धर्म नहीं होगा और वह धर्म, जाति के आधार किसी से भेदभाव नहीं कर सकता।

और सेकुलरज्मि मतलब- एक ऐसी व्यवस्था जिसमें राज्य के समक्ष हर धर्म और जाति को हर प्रकार की समानता मिले।

भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 1976 तक सेक्यूलर शब्द नहीं था फिर भी धर्म जाति के आधार पर किसी के कोई भेदभाव नहीं किया गया। भारत के संविधान निर्माताओं ने संविधान में सेकुलर शब्द का प्रयोग नहीं किया था। पर देश सेकुलर बना रहे इसकी सारी व्यवस्था संविधान की प्रस्तावना में कर दी थी। इसके अनुसार राज्य हर नागरिक को अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्मऔर उपासना की स्वतंत्रता देगा। यानी राज्य किसी भी व्यक्ति से भेदभाव नहीं करेगा। यानी उसकी निगाह में सभी नागरिक समान होंगे।

26 नवंबर 1949 से 1976 तक यह थी प्रस्तावना

हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न लोकतंत्रात्म गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्मऔर उपासना की स्वतंत्रता प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता अखंडता सुनिश्च्ति करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढसंकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर 1949 (मिति मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी संवत 2006 विक्रमी) को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।

1976 में जुड़े सोशलिस्ट और सेकुलर शब्द

हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष (सेकुलर का अर्थ धर्मनिरपेक्ष नहीं होता) लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्मऔर उपासना की स्वतंत्रता प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता अखंडता सुनिश्च्ति करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढसंकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर 1949 (मिति मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी संवत 2006 विक्रमी) को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।

निष्कर्ष यह है कि

यानी इंदिरा गांधी संविधान में सेकुलरज्मि शब्द नहीं भी जोड़ती तो भी संविधान की समानता की भावना में कोई अंतर नहीं आता।

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