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गुरुवार, 17 अप्रैल 2014

लालकिले से (भाग-70) #Modi मोदी लहर के ओवर कान्फिडेन्स में भाजपाई नहीं निकले , एमपी बिहार और महाराष्ट्र में हुआ कम मतदान


श्रृंखला लालकिले से के भाग-59 में हमने चर्चा की थी मध्यप्रदेश, बिहार और यूपी में मोदी लहर के भरोसे भाजपा प्रत्याशी ओवर कान्फिडेन्स में हैं। वे प्रचार पर ज्यादा फोकस नहीं कर रहे हैं, मोदी लहर के भरोसे बैठे हैं। इसी के परिणामस्वरूप गुरूवार को हुए पांचवे दौर के मतदान में मध्यप्रदेश की दस, बिहार की 7 सीटों और महाराष्ट्र की 19 सीटों पर 54 से 56 फीसदी ही मतदान हुआ। पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में यह 8 से 10 प्रतिशत तक ज्यादा है पर मोदी लहर के हिसाब से यह मतदान प्रतिशत कम है। इसके विपरीत छत्तीसगढ़, यूपी, झारंखंड, और कर्नाटक में 61 से 65 फीसदी रिकार्ड मतदान हुआ। इसमें से कर्नाटक को छोडक़र सारा इलाका उस हिन्दी पट्टी का है जिसकी सीटों के दम पर मोदी देश के प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं। आंध्र में टीडीपी से मतभेद की खबरें हैं। मतभेद का कारण भाजपा का गलत टिकट वितरण सामने आ रहा है। इससे सारी बातों से लगता है कि मिशन 272 प्लस को विरोधी नहीं खुद भाजपा वाले ही खतरे में डाल रहे हैं।
भाजपा शासित राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव से कम मतदान हुआ। लेकिन राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मतदान प्रतिशत 65 के आस-पास रहा जो कि मध्यप्रदेश से लगभग 11 फीसदी ज्यादा है। आमतौर पर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के रूझानों में ज्यादा फर्क नहंी रहता पर इस बार देखा गया है।
दरअसल यूपी में 20, मध्यप्रदेश और बिहार में 10-10 यानी कुल 40 टिकट कमजोर प्रत्याशियों को देकर मोदी लहर को भाजपा के क्लब 160 ने चुनौती दी है। अब यह मोदी लहर की अग्नि परीक्षा है। कई स्थानों पर यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश में कई प्रत्याशी प्रचार के नाम पर खानापूर्ति कर रहे हैं। मोदी लहर पर भरोसा जो है। यूपी में तो हिन्दू-मुस्लिम धु्रवीकरण के कारण भाजपा की अभी तक के दौ दौरों में ईज्जत बची हुई है। बिहार में आज जिन सात सीटों पर चुनाव हुए उन पर मुस्लिम वोट ज्यादा पड़े हैं ऐसे में भाजपा को परेशानी हो सकती है। महाराष्ट्र में भी मुस्लिम वोटों की खासी संख्या है। ऐसे में कम मतदान भाजपा-शिवशेना महायुति के लिए खतरे का संकेत अवश्य है। भाजपा इन प्रत्याशियों के पीछे नए और ताजगी भरे चेहरे उतारने का तर्क दे रही है पर चुनाव प्रचार में विधानसभा चुनाव जैसी संजीदगी नहीं दिख रही है। सुषमा स्वराज गुना में भाजपा प्रत्याशी का बजाय होंसला बढ़ाने के उन्हें सार्वजनिक रूप से फटकार लगाई ताकि कांग्रेस से उनके संबंध बने रहें। शिवराज भी देरी से सक्रिय हुए पर उन्होंने अपनी रफ्तार पकड़ ली है। अगर भाजपा भोपाल सीट हार गई तो फिर शिवराज और मोदी दोनों को जवाब देना मुश्किल पड़ जाएगा।
यूपी- बिहार- महराष्ट्र की ज्यादातर और मध्यप्रदेश और राजस्थान की कुद सीटों पर चुनाव शेष है। अगर भाजपाई सिर्फ मोदी लहर के भरोसे ही बैठे रहे और मतदाताओं को बाहर नहीं निकाला और वोटिंग प्रतिशत का यही हाल रहा तो मोदी के प्रधानमंत्री बनने में अड़चन आ सकती है। बहरहाल भाजपा के लिए एक अच्छी खबर है कि उसके यूपी प्रभारी अमित शाह पर से चुनाव आयोग ने प्रतिबंध हटा दिया है। यानी वे अब प्रचार, चुनावी सभाएं और रोड शो कर सकेंगे।

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