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सोमवार, 21 अप्रैल 2014

लालकिले से (भाग-74) - मुकेश अंबानी के साम्राज्य को चुनौती दे रहे हैं गौतम अडानी इसलिए हैं राहुल गांधी के निशाने पर




टाटा कभी भी कांग्रेस को पसंद नहीं आए, शाह कमीशन ने कहा टाफी माडल तो केन्द्र की नीतियों के अनुसार ही है, यानी टाफी माडल केन्द्र सरकार ने बनाया है 


                                        

दरअसल मुकेश अंबानी के साम्राज्य को गुजरात से गौतम सीधी अडानी चुनौती दे रहे हैं। टाटा ने तो आज तक कांग्रेस को भाव नहीं दिया। यही कारण हैं राहुल गांधी टाफी माडल के नाम से इन दोनों उद्योगपतियों और गुजरात से मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को निशाना बना रहे हैं। राहुल गांधी को शायद किसी ने यह नहीं बताया कि शाह कमीशन इन उद्योगपतियों को दी जाने वाली सुविधाओं को केन्द्र की नीतियों के अनुरूप ठहरा चुका है। राहुल गांधीे जिस टाफी माडल की बात कह रहें है शाह कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार वह केन्द्र सरकार का ही बनाया हुआ है।

राहुल और केजरीवाल का एजेंडा एक

सोलहवीं लोकसभा के चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने नरेन्द्र मोदी पर आरोप लगाए कि अडानी और टाटा को करोड़ों का फायदा पहुंचा रहे हैं। इससे पहले अरविंद केजरीवाल ने अडानी और मुकेश अंबानी से मोदी के रिश्तों को लेकर सवाल उठाए थे। इससे एक बात साफ होती है कि राहुल और केजरीवाल एक ही एजेंडे पर काम कर रहे हैं। आने वाले दिनों में अगर इस सूची में एस्सार समूह का नाम जुड़ जाए तो आपको आश्यर्च नहीं होना चाहिए। दरअसल इसमें चुनावी राजनीति कम और अपने उद्योगपतियों को बचाने का खेल है। गौतम अडानी आने वाले दिनों में मुकेश अंबानी के सबसे बड़े काम्पीटिटर हैं और टाटा कभी भी कांग्रेस को पसंद नहीं आते। वो तो टाटा ही हैं कि कांग्रेस के समर्थन के बिना ईमानदारी और ब्रांड वेल्यू के दम तक वे देश के नंबर वन बिजनेस घराने के रूप में टिके हैं। सभी को पता है कि धीरूभाई अंबानी कांग्रेस की मदद से ही इस मुकाम पर पहुंचे हैं। उनकी मृत्यु के बाद जब अनिल अंबानी ने जार्ज फर्नांडीस की मदद से कांग्रेस की यूपीए वन सरकार को गिराने की असफल कोशिश की थी। इसके बाद राहुल गांधी के नाराजगी जताते पर मुकेश अंबानी ने अनिल अंबानी से अलग होने का फैसला किया था। कांग्रेस ने जब टाटा को जमीन और सुविधाओं देने पर आपत्ति ली तो गुजरात सरकार ने टाटा सहित अन्य उद्योपतियों को दी जाने वाली सुविधाओं की जांच के लिए शाह कमीशन नियुक्त किया। शाह कमीशन ने पाया कि टाटा और अन्य उद्योगपतियों को दी गई जमीन और सुविधाओं को केन्द्र के नीतियों के अनुरूप है। आटो सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए महाराष्ट्र सहित कई राज्यों ने ये पालिसी अपनाई हुई है।




अडानी ने समुद्री दलदल की जमीन पर बनाया मुद्रा पोर्ट

गौतम अडानी गुजरात में जिस तेजी से उभर रहे हैं उससे मुकेश अंबानी को खतरा महसूस हो रहा है। यदि अडानी के उभरने की गति यही रही तो आने वाले दस सालों में वे मुकेश अंबानी को पीछे छोड़ देंगे। अभी अडानी एक लाख करोड़ के आसामी हैं। दरअसल अडानी ने जहां मु्रदा पोर्ट और एसईजेड बनाया है वहां की जमीन खार हो चुकी है। गुजराती में खार की जमीन का मतलब होता है समुद्र के किनारे की खारी और दलदली जमीन। समुद्र जमीन को दलदल बनाकर निगलता रहता है। इसे अडानी ने ईतना बेहतर डेवलप किया कि वाइझेक या विशाखापत्तनम के बाद यह देश का सबसे खुबसूरत और सुविधा संपन्न पोर्ट है। अभी तो वाइजेक पोर्ट के एक्सटेंशन के काम का ठेका भी अडानी को मिला है। आस्टे्रेलिया में भी वे एक पोर्ट डेवलम कर रहे हैं। गुजरात में अरब सागर पर देश की सबसे बड़ी कोस्टल लाईन है। यह 13 जिलों से निकलती है और इसकी लंबाई लगभग 1600 किलोमीटर है। खार से जमीन को बचाना सरकार के लिए भी एक बड़ी चुनौती है। इसलिए गुजरात सरकार ने यहां पोर्ट बनाने की योजना बनाई है। इसलिए राहुल भैया एक बार मुद्रा पोर्ट देखकर आएं, सारी हकीकत खुद ब खुद पता चल जाएगी।

कांग्रेस को फूटी आंख नहीं सुहाते टाटा

कांग्रेस से बिडलाओं की नजदीकी के कारण टाटा को कभी भी कांग्रेस बहुत अच्छा रिस्पांस नहीं मिला। इसी कारण टाटा को कार बनाने के प्रोजेक्ट के लिए सालों इंतजार करना पड़ा। देश की पहली स्वदेशी कार टाटा इंडिका बनाने का लाइसेंस टाटा को एनडीए के शासनकाल में जाकर मिला। सिंगूर कांड के बाद जब टाटा अपने महत्वाकांक्षी नैनो प्रोजेक्ट के लिए नया ठिकाना ढूंढ रहे थेे कि मोदी ने एक घंटे के भीतर टाटा को गुजरात लाने के लिए राजी कर लिया। उन्हें अमदाबाद के नजदीक साणंद में जमीन और सहुलियतें दीं। प्रोजेक्ट को सहूलियते देने के कांग्रेस के आरोपों के बाद मोदी ने इसकी और ऐसे ही अन्य मामलों की जांच के लिए शाह कमीशन बैठाया। शाह कमीशन ने रिपोर्ट दी कि नैनो प्रोजेक्ट को केन्द्र और राज्य सरकार की नीतियों के अनुसार ही सहूलियतें दी गईं हैं। अन्य राज्यों में इसी प्रकार सहूलियतें दी जा रही हैं। अब मोदी को घेरने के लिए कुछ नहीं था तो टाफी माडल ले आए।

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