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शनिवार, 5 अप्रैल 2014

लालकिले से (भाग-57)- कोबरा पोस्ट स्टिंग में फिक्सिंग- अमदाबाद के पाकिस्तान कहे जाने वाले सरखेज में 38बजरंगियों की ट्रेनिंग करवा दी, जगह का नाम तो सही बोलने को कहते भैया



कोबरा पोस्ट स्टिंग आपरेशन का एक तथ्य पूरे आपरेशन पर ही संदेह कर रहा है। इसमें कहा गया है कि रामजन्मस्थान पर बने बाबरी ढांचे को तोडऩे के लिए लक्ष्मण सेना बनाई गई थी। और इस सेना को अहमदाबाद से सरखेज में १९९२ में प्रशिक्षण दिया गया था। सरखेज पूरी तरह से मुस्लिम बहुल इलाका है और इसे मिनी पाकिस्तान भी कहा जाता है। ऐसे में इस बात पर यकीन करना मुश्किल है कि मुस्लिम बहुल इलाके में ३८ बजरंगियों को प्रशिक्षण दिया गया। ऐसा नहीं है कि यहां हिन्दू आबादी नहीं है पर मुस्लिमों की बसाहट ऐसी है कि कोई भी चीज उनकी नजर से बच ही नहीं सकती। यानी ये स्टिंग किसी विश्व हिन्दू परिषद वाले ने ही करवाया है।

.. ट्रेनिंग तो सरखेज में नहीं ही होती

अगर वीएचपी ने ऐसी कोई सेना बनाकर ट्रेनिंग देने की योजना बनाई होती तो भी सेना को कम से कम सरखेज में तो ट्रेनिंग नहीं ही दी जाती। गुजरात में सौराष्ट, उत्तर गुजरात सहित कई सुरक्षित स्थान हैं। मुस्लिम बहुल इलाके में ट्रेनिंग का विचार ही समझ से परे हैं।

कांग्रेस और एक हिन्दूवादी की मिलीभगत

मुझे लग रहा है कि यह स्टिंग विश्व हिन्दू परिषद के ही किसी नेता की मिलीभगत से करवाया गया है। पिछले दिनों श्रृंखला लाल किले से में हमने बताया था कि मोदी के खिलाफ कांग्रेस ने एक बड़े एक हिन्दू नेता को सुपारी दी है। इस पूरे स्टिंग में बस इसी नेता का नाम नहीं है। स्टिंग में कुछ बातें तो सभी को पता हैं। ये रीयर स्टिंग है। इसमें कुछ के यानी दो के बयान फिक्सिंग के तौर पर डाले गए हैं। जैसे सरखेज में ट्रेनिंग देने वाला। यानी स्क्रिप्ट में एक छोटी सी गड़बड़ी से सारा खेल खुल गया। कांग्रेस की मदद से इन नेता को मोदी से अपना पिछला हिसाब चुकता करना है और हिन्दूओं का एकमात्र नेता बनना है। इस दांव से सारे हिन्दू नेता रास्ते से साफ और मेरी जय-जय।

स्टिंग का मकसद दोहरा धु्रवीकरण

इस स्टिंग का मकसद यह है कि देश में मुस्लि वोट का ध्रवीकरण कांग्रेस के पक्ष में हो ताकि उसकी स्थिति ठीक हो यानी 150 तक सीटें मिल जाएं। इसके बाद वे तीसरे मोरचे की सरकार को समर्थन देने या उनसे समर्थन लेने का खेल खेल सकते हैं। शाही ईमाम से कांग्रेस ने अपने साथ ममता और लालू को समर्थन दिलवाया है वह इस बात की पुष्टि करता है कि कांग्रेस मुस्लिम वोटों के लिए दोहरा गेम खेल रही है। इस पर ये स्टिंटग यानी अगर कहीं तक शाही ईमाम की आवाज नहीं पंहुच रही हो तो वहां तक भी ये आवाज पंहुच जाए। मकसद एक ही है मोदी को रोकना।

शाही ईमाम की सुनता ही कौन है..

देखना है कि कहीं ध्रुवीकरण का दंाव उल्टा न पड़ जाए। कारण कि शाही ईमान की कोई ज्यादा मुस्लिम सुनते नहीं। अगर सुनते तो यूवी विधानसभा चुनाव में उनके दामाद को हार का मुंह नहीं देखना पड़ता। दूसरा अगर शाही ईमाम की दुकान चल गई तो फिर देवबंदियों और आजम जैसों को कौन पूछेगा। दूसरा अगर इसकी प्रतिक्रिया में कहीं हिन्दू वोट लामबंद हो गया तो फिर कांग्रेस को लेने के देने भी पड़ सकते हैं।

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