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रविवार, 6 अप्रैल 2014

लालकिले से (भाग- 60)- कांग्रेस के सेकुलर कार्ड पर भारी पड़ेगा भाजपा का विकास प्लस हिन्दुत्व का मुद्दा, सोनिया ने फिर सांप्रदायिक किया चुनाव





कांग्रेस के सेकुलर कार्ड के जवाब में भाजपा ने दबी जुबां से उत्तरप्रदेश और बिहार में हिन्दू कार्ड खेल दिया है। पिछड़ी जातियों का गणित भी इस बार भाजपा के पक्ष में हैं कारण कि मोदी पिछड़ी जाति के हैं। अगड़ों का भी उन्हें भरपूर समर्थन है। यह गणित अंतत: कांग्रेस पर भारी ही पड़ेगा। यानी हिन्दुत्व करेगा सो काल्ड सेकुलरिज्म की काट। यानी नकारात्मक चीजें आपस में एक दूसरे को बेलेन्स करेंगी और विकास का मुद्दा अपना काम करेगा। यानी कांग्रेस के सेकुलर कार्ड  पर भारी पड़ेगा भाजपा का विकास प्लस हिन्दुत्व और विकास का मुद्दा।

सोनिया पहले भी दे चुकी हैं सांप्रदायिक रंग

उदाहरण १- नरेन्द्र मोदी २००७ का गुजरात विधानसभा चुनाव विकास के मुद्दे पर लडऩा चाह रहे थे। प्रचार इसी अनुरूप चल रहा था। तभी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें मौत का सौदागर कहकर प्रचार को सांप्रदायिक रंग दे दिया। कारण कि कांग्रेस के पास गुजरता में कुछ भी कहने और करने के लिए नहंी था। मोदी ने इसका जो जवाब दिया उससे गुजरात का मुकाबला एक तरफा हो गया।

सोनिया को इस बार सांप्रदायिकता का बुखार

उदाहरण २-  नरेन्द्र मोदी २०१४ का लोकसभा चुनाव विकास के मुद्दे पर ही लड़ रहे हैं। इसलिए भाजपा के घोषणा पत्र में राम मंदिर, समान आचार संहिता और धारा-३७० का उल्लेख मात्र ही रहेगा। इस बार मोदी काफी सजग हैं। वे फूंक-फूंक कर बोल रहे हैं। कहीं कोई ऐसी बात न निकल जाए जिससे कांग्रेस के पक्ष में सांप्रदायिक ध्रवीकरण हो जाए। इससे उनके भाषण की गति कुछ कम भी हुई है। इस बार भी सोनिया गांधी ने जामा मस्जिद के शाही ईमाम बुखारी से मुलाकात कर सेकुलर वोटों का बंटवारा रोकने की अपील कर फिर चुनाव प्रचार को सांप्रदायिक रंग में रंग दिया। इसके बाद शाही ईमाम ने कांग्रेस को वोट देने की अपील की या फतवा जारी किया। इस पर मोदी बोल पर सीमा में। असली काम किया उनके खास सिपाहसालार अमित शाह ने।

राहुल ने भी लिया मसूद का पक्ष

उदाहरण ३-  सहारनपुर के कांग्रेस प्रत्याशी इमरान मसूद के मोदी पर दिए बोटी-बोटी वाले विवादास्पद बयान के बाद उनकी गिरफतारी हो गई थी। इसके बाद भी राहुल गांधी सहारनपुर गए और जिस तरह से मसूद का पक्ष लिया उससे भी साफ हो रहा था कि कांग्रेस इस चुनाव में सेकुलर कार्ड खेलने की तैयारी कर रही है।

विकास के मुद्दे पर सभी मोदी से पीछे

महंगाई, खरबों, पद्मों रूपए के बड़े- बड़े घोटालों, लचर अर्थव्यवस्था, पालिसी पेरेलिसिस से जूझ रही कांग्रेस और सो काल्ड सेकुलर दल मोदी के विकास के मुद्दे को सेकुलरिज्म की तरफ मोडऩे की जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं। कारण कि विकास के मुद्दे पर ये सभी  मोदी से काफी पीछे हैं। मोदी एक साल में रैलियों का शतक लगाकर कांग्रेस की मिट्टी पलीत करने में में अहम भूमिका निभाई है। जब कांग्रेस को लगा कि उसके खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है और ऐसे में मोदी को विकास के मुद्द पर रोक पाना मुश्किल है तो उन्होंने अप्रासंगिक हो चुके सेकुलरिज्म के मुद्दों को उठाकर विपक्षी एकता को तार-तार करने का ब्रह्मास्त्र चलाया है।

ये है कंाग्रेस का गेमप्लान

कांग्रेस इस गेमप्लान के तहत वामपंथियों और ममता को अपने खेमे में लाना चाहती है।  कांग्रेस की अपील पर वामपंथी तो कांग्रेस के साथ आने को राजी हो गए हैं पर ममता ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। सोनिया गांधी ने ममता को अपने पक्ष में लाने के लिए शाही ईमाम से बंगाल में उन्हें समर्थन दिलवाया है।

मोदी किसी हाल में मंजूर नहीं

मकसद साफ है कि मोदी बहुमत से सत्ता में नहीं आ पाएं। सत्ता में आएं तो चलर सरकार बने। इससे भी बेहतर यह होगा  एनडीए सत्ता में आए तो मोदी के अलावा कोई भी प्रधानमंत्री बन जाए। अगर एनडीए कुछ कमजोर पड़े तो तीसरे मोर्चे की सरकार बनवाकर दो साल में मध्यावधि चुनाव करवा दिए जाएं।

सधी भाषा में हिन्दुत्व पर बात

पर मोदी को अंदेशा था कि कांग्रेस सेकुलरिज्म का कार्ड खेल सकती है इसलिए उन्होंन इशारों ही इशारों में गुलाबी क्रांति की बात कर जानवरों के बहाने गाय को काटने पर प्रहार किए। मोदी के प्रहार संतुलित और इशारों में थे ताकि विरोधियों को बोलने का कोई मौका नहीं मिले। इसके अलावा बीजेपी के महासचिम और यूपी के प्रभारी अमितभाई शाह ने शामली(मुजफफरनगर) में डिप्लोमैटिक बयान देकर पश्चिम उत्तरप्रदेश में हिन्दू वोटों खासकर जाटों के वोटों में पहले से मौजूद धु्रवीकरण को और तेज कर दिया है। हो सकता हो कि मोदी के इशारे पर ही ये बात कही। इस बात में बजन इसलिए है कि बात कहने का तरीका बिना किसी को टार्गेट किए था। उनके भाषण से संज्ञा गायब थी। यानी यह किसके लिए कहा गया है आप खुद ही समझें और अर्थ निकालें।

अमित शाह के बयान के तीन मतलब

अमित शाह ने कहा- उत्तरप्रदेश खासकर पश्चिम उत्तरप्रदेश के लोग चुनाव में अपना सममान बचाने और अपमान का बदला लेने के लिए वोट करें। अन्याय करने वालों को सबस सिखाने के लिए वोट करें। वैसे अमित शाह के बयान के सीधे-सीधे तीन अर्थ हैं। पहला- दंगों के दौरान पश्चिमी उत्तरप्रदेश हुए घटनाक्रम के संदर्भ में।
दूसरा- शाही ईमाम की अपील के संदर्भ में कि- कांग्रेस समेत अन्य दलों को हिन्दूओं से ज्यादा मुस्लिमों के वोट प्यारे हैं।
तीसरा - देश और यूपी के लचर हालात के संदर्भ में। शाह के इस बयान ये यूपी में हिन्दुओं का पहले से तय धु्रवीकरण और तेजी से होगा। कारण कि अखिलेश सरकार आने के बाद यूपी में सवा सौ से ज्यादा दंगे हो चुके है।



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