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शनिवार, 5 अप्रैल 2014

लालकिले से (भाग-58)- 300 खोखे के सौदे के बाद हिन्दूवादी नेता की सलाह पर आया था पहला स्टिंग, दूसरे स्टिंग में आ सकती है गोधरा में मारे गए कारसेवकों के परिवारों की सुध नहीं ली गई, नमो को बता सकते हैं जवाबदार


अंदरखाने की खबर है कि सांप, बिच्छू और केकड़ा वालों ने रामजी पर जो स्टिंग किया था उसका आयडिया एक हिन्दूवादी नेता का ही था। इस हिन्दूवादी को सबसे पुरानी पार्टी ने नमो को निपटाने के लिए ३०० खोखे की सुपारी दी है। इन्हीं हिन्दूवादी नेता के आयडिए पर गोधरा कांड के मृत कारसेवकों के परिजनों की बदहाल स्थिति के लिए नमो को जवाबदार बताने वाला एक स्टिंग होने की भी खबर है।  खबर तो यहां तक है कि इस स्टिंग में गोधरा हादसे के लिए साहेब पर अंगुली उठाई जा सकती है। चुनाव के पहले चरण के बाद इस स्टिंग के आने की संभावना है। मजेदार बात यह है कि इन कारसेवकों को तो ये हिन्दूवादी नेता ही लेकर गए थे। इन नेताओं ने ही गोधरा में मृत कारसेवकों के परिवारों की सुध नहीं ली और अब नमो को इस मामले में घेरने की तैयारी कर रहे हैं। हर-हर महादेव पर भी इनकी नमो को घेरने की तैयारी थी लेकिन नमो के ट्वीट ने सब उल्टा- पुल्टा कर दिया। खैर नमो के लोगों को इस साजिश का पूरा पता है। 

नमो और हिन्दूवादी में सांप-नेवले सा बैर इसलिए

दरअसल इन हिन्दूवादी और नमो में सांप नेवले सा बैर है। सूरत के पास इन हिन्दूवादी नेता से जुड़े लोगों की करोड़ों की जमीन को रेसिडेन्सियल करने की मोदी ने अनुमति नहीं दी थी। इसी के बाद से दोनों के बीच डबल ३६ का आंकड़ा है। इसी के साइड इफेक्ट के तौर पर गुजरात भाजपा में गुटबाजी उभरी। इस जमीन में कुछ भाजपा नेताओं की भी बेनामी शेयरिंग थी। इसलिए अब ये नेता नमो से हिसाब बराबर करने को बेताब हैं।

दूसरे स्टिंग की भी चर्चा

चुनाव के दौरान एक और स्टिंग के आने की भी सूत्र चर्चा कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि पहले स्टिंग का मकसद मुस्लिमों को सबसे पुरानी पार्टी  के पक्ष में लामबंद करना था। दूसरे स्टिंग का मकसद हिन्दुओं में मोदी की छवि को बिगाडक़र हिन्दू वोटों का धु्रवीकरण करवाना है। इससे भी सबसे पुरानी पार्टी को फायदा पहुंचाने और हिसाब बराबर करने का गणित है।

हिन्दूवादी यहां गच्चा खा गए

पहले स्टिंग में हिन्दूवादी नेता ने कुछ पात्र फिक्स किए थे। जिन्होंने उनके कहने पर ही बयान दिए। लेकिन सूत्रों ने बताया कि ये भाई पहले स्टिंग की स्क्रिप्ट में एक गलती कर गए। इसने पूरे आपरेशन पर ही संदेह खड़े कर दिए हैं। इस स्क्रिप्ट के अनुसार एक पेड व्यक्ति ने का कि बाबरी ढांचे को तोडऩे के लिए बनाई गई लक्ष्मण सेना को अहमदाबाद से सरखेज में १९९२ में प्रशिक्षण दिया गया था। सरखेज पूरी तरह से मुस्लिम बहुल इलाका है और इसे मिनी पाकिस्तान भी कहा जाता है। ऐसे में इस बात पर यकीन करना मुश्किल है कि मुस्लिम बहुल इलाके में ३८ बजरंगियों को प्रशिक्षण दिया गया। ऐसा नहीं है कि यहां हिन्दू आबादी नहीं है पर मुस्लिमों की बसाहट ऐसी है कि कोई भी चीज उनकी नजर से बच ही नहीं सकती। यानी इसमें हिन्दूवादी के कुछ साथियों के शामिल होने का पूरा-पूरा संदेह। परिस्थिति जन्य साक्ष्य इसका खुले तौर पर इशारा कर रहे हैं।

एक नेकर वाले भी सक्रिय हैं

नेकर वालों के यहां से पार्टी में आए एक नमो विरोधी नेता भी उनकी कुछ व्यक्तिगत सीडी निकालने में लगे थे। शिवसेना के हिन्दी अखबार दोपहर का सामना ने कुछ दिनों पहले खुलासा किया था कि मोदी की छवि को खराब करने के लिए उनके डुप्लीकेट की मदद से ऐसा कुछ करने का षडयंत्र रचा जा रहा है। मजेदार बात यह है कि नेकर वाले ये नेता एक सीडी कांड में खुद ही बदनाम हो चुके हैं।


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