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शुक्रवार, 25 अप्रैल 2014

लालकिले से (भाग-82) - कहीं मुस्लिम आरक्षण का दांव कांग्रेस के ताबूत में आखिरी कील न साबित हो जाए


बीच चुनाव में कांग्रेस ने मुस्लिमों को ओबीसी कोटे से साढ़े ४.५ फीसदी आरक्षण और एससी यानी दलित जातियों के कोटे में दलित मुस्लिमों को शामिल करने का वादा कर अपने ताबूत में खुद ही कील ठोकने की तैयारी कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार आरक्षण किसी भी दशा में 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता ऐसे में यह आरक्षण इन जातियों के वर्तमान कोटे से ही जाएगा और ये जातियां कभी भी अपने कोटे में मुस्लिमों का कोटा कभी भी स्वीकार नहीं करेंगी। दरअसल इसके पीछे हिडन एजेंटा एसटी कोटा है। इसमें भी कांग्रेस आदिवासी इसाईयों का आरक्षण देना चाहती है।
१. दरअसल सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार आरक्षण किसी भी सूरत में 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता। इसीके तहत अभी कुल 49.5 प्रतिशत आरक्षण लागू है। इसमें एससी के लिए15 फीसदी, एसटी के लिए 7.5 फीसदी और ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण है।
२. प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने मुस्लिमों के लिए ओबीसी कोटे में ४.५ फीसदी आरक्षण की घोषणा की थी। यह कोटे में कोटा जैसा था। इस पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है।
३. मंडल आयोग की सिफारियों के अनुसार देश में 52 फीसदी आबादी ओबीसी की है। इस हिसाब से वे अपने कोटे में मुस्लिमों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे।
४. इसी तरह मुस्लिमों के लिए एससी यानी दलित कोटा भी खोलने की बात है। अभी हिन्दू जातियों को ही इस सहित सभी कोटों से आरक्षण की पात्रता है। दलित किसी कीमत पर अपने 7.5 फीसदी कोटा मुस्लिमों से शेयर नहीं करेंगे।
कुल मिलाकर इतिहास की सबसे बुरी पराजय की ओर बढ़ रही कांग्रेस ने मुस्लिम आरक्षण के रूप में ऐसा नी जर्क रिएक्शन किया है जिससे हो सकता है कि उसे कुछ मुस्लिम वोट मिल जाएं लेकिन इसकी प्रतिक्रिया में दलित और ओबीसी वोट भाजपा की ओर लामबंद होगा ही। खासकर दलित वोट का भाजपा की ओर लामबंद होना यूपी में भाजपा के लिए फायदेमंद और बसपा के लिए घाटे के लिए सौदा हो सकता है। यूपी में दंगों के कारण वैसे ही दलित वोट खासकर जाटव वोट भाजपा के पक्ष में जाता हुआ दिख रहा है। एससी और ओबीसी कोटे में सेंध की आशंका भाजपा के पक्ष में इन जातियों का ध्रुवीकरण और तेज करेगी। कहीं यह फैसला कांग्रेस के ताबूत में आखिरी कील साबित न हो जाए।

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