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शनिवार, 5 अप्रैल 2014

लालकिले से (भाग-59)- मोदी लहर के भरोसे ओवर कान्फिडेन्स में भाजपा, प्रत्याशी प्रचार में लापरवाह, बेहतर टिकट वितरण से कांग्रेस की स्थिति में आंशिक सुधार



मोदी लहर के भरोसे मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट, बिहार और यूपी में भाजपा नेता और प्रत्याशी इतने निश्चिंत हैं कि वे ठीक से प्रचार भी नहीं कर रहे हैं। यानी प्रत्याशियों, कार्यकर्ताओं और पार्टी कैडर को प्रचार को लेकर जितना संजीदा होना चाहिए उतने वे हैं नहीं। उन्हें लग रहा है कि इस बार तो हर सीट पर मोदी ही प्रत्याशी हैं इसलिए वोट मिलना तय है। हांलाकि इस बात में एक हद तक सच्चाई है। सिर्फ उन 150 सीटों पर ही प्रचार गंभीरता से चल रहा है जिनकी कमान संध के पास है। बाकी सीटें भाजपा के जिम्मे है। भाजपा के जिम्मे वाली सीटों पर पार्टी और कार्यकर्ता अति आत्मविश्वास में हैं। वे तो मानकर ही चल रहे हैं कि सरकार बन गई। जबकि अभी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने में 39 दिन बाकी हैं। इतने दिन को तख्तो-ताज बदलने के लिए काफी होते हैं।

कांग्रेस का टिकट वितरण भाजपा से बेहतर

भ्रष्टाचार, महंगाई और एंटी इन्कम्बेन्सी से जूझ रही कांग्रेस ने टिकट वितरण में जरूर भाजपा से बाजी मारी है। उसने भाजपा की तुलना में ज्यादा अच्छे और युवा प्रत्याशी उतारने की कोशिश की है। इस बार हार के डर से वहां टिकट को लेकर कोई मारामारी नहीं हुई। कुछ लोग भाजपा में आ गए। इससे भी वहां टिकट वितरण आसान रहा। राहुल का फोकस केवल युवाओं और महिलाओं पर दिखता है। इससे कांग्रेस को दस सीटों का फायदा दिख रहा है।

भाजपा शासित राज्यों में नए चेहरों पर दंाव

मध्यप्रदेश में भाजपा से बेहतर टिकट बांटकर कांग्रेस 7 से 8 सीटों पर दौड़ में है। मध्यप्रदेश में भाजपा ने सुमित्रा महाजन और नरेन्द्रसिंह तोमर को छोडक़र बाकी सारे प्रत्याशी बदल दिए है।  इनमें कुछ काफी कमजोर हैं और केवल लहर क भरोसे हैं। गुजरात और  राजस्थान में भी यही हाल है। गुजरात मेें तो भाजपा ने एक दर्जन दलबदलुओं को टिकट दिए है। राजस्थान में भी कांग्रेस 6 से 7 सीटों पर रेस पर है। यानी विधानसभा चुनाव से फिलहाल स्थिति थोड़ी ठीक लग रही है। यूपी और बिहार में भी लगभग एक दर्जन सीटों पर गलत टिकट बंटे हैं। ऐसे में लहर के भरोसे पार्टी और प्रत्याशी बैठे रहे और लहर में थोड़ा भी उन्नीस-बीस हुआ तो भाजपा को 25 सीटों का नुकसान हो सकता है।

मोदी लहर की परीक्षा भी

भाजपा नेताओं का तर्क है कि नए चेहरे देने से जनता को कुछ ताजगी महसूस होगी। यह तर्क एक सीमा तक तो ठीक है। यह मोदी लहर की परीक्षा भी है। अगर भोपाल, उज्जैन, धार, रीवा, जयपुर, जयपुर ग्रामीण, जैसे स्थानों पर भाजपा प्रत्याशी जीतते हैं तो ही मोदी लहर पर मोहर लगेगी।

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