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गुरुवार, 24 अप्रैल 2014

लालकिले से (भाग-79) - मोदी का काशी मंत्र - रीवर, व्हीबर और सीबर




मोदी के रोड शो में उमड़ी जैसे कह रही हो कि- बनारस ने तो               अपना फैसला  आज ही सुना दिया 


मोदी के नामांकन रोड शो में काशी में जो भीड़ उमडी़ उसे देखकर एकबारगी तो ऐसा ही लग रहा था कि मानो जैसे बनारस ने अपन फैसला आज ही सुना दिया हो। बाबा विश्वनाथ के त्रिशूल की नोक पर बसी काशी में मोदी को जब बोलने का समय मिला तो उन्होंने करीने से अपने रीवर, व्हीवर और सीवर प्लान को खोलना आरंभ किया। गंगा नदी के बहाने उन्होंने काशी धर्म, समाज और संस्कृति को छूआ तो बुनकरों के बहाने उन्होंने बनारसी साड़ी की कला को सहेजने का भरोसा दिया। विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं इसलिए उनके प्लान में सीवर यानी बनारस की मूलभूत सुविधाएं का समाधान भी है। इस पर वे अगले अवसरों पर बोलेंगे। मोदी के प्रस्तावक भी प्रतीत रूपों में उन्हीं के इन मंत्रों के अनुरूप थे। इसका संकेत गंगा और घाघरा नदी के आस पास बसे पूर्वांचल की दो दर्जन सीटों पर पड़ेगा।

रीवर - गंगा धर्म, समाज, संस्कृति और काशी की पर्याय

वाणारसी आने से पहले ही ट्विटर पर गंगा को साबरमती रिवर फ्रंट की तरह बनाने की बात कहकर उन्होंने यह तो साफ कर ही दिया कि गंगा नदी का शुद्धिकरण उनकी पहली प्राथमिकता है। काशीवासियों का जनसैलाब देखा तो भावुक हो गए और बोले यहा- बनारस में हुए स्वागत से अभिभूत हूं। मैं यहां न आया हूं न लाया गया हूं मुझे ने गंगा मैया ने बुलाया है। यहां आकर मुझे ऐसा लग रहा है जैसे कोई बच्चा अपनी मां के आंचल में आया हो। यानी की गंगा के जिक्र से उन्होंने लोगों की धार्मिक और सांस्कृतिक नब्ज पर हाथ रखा और गंगा के शुद्धिकरण की बात कहकर उन्होंने स्थानीय और प्रदेश के एक बड़ी समस्या के समाधान की पहल की है। समाज के प्रतिनिधि के रूप में उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना पं मदनमोहन मालवीय के पोते रिटायर्ड जस्टिस पं गिरधर मालवीय को अपना प्रस्तावक बनाकर हिन्दू समाज से सबसे आधुनिक विचारक का स्मरण किया। इसके बहाने उन्होंने हिन्दू और ब्राह्मणों को साधने का काम किया है। संस्कृति के संकेत के रूप में  प्रख्यात गायक पं छन्नूलाल मिश्र को प्रस्तावक बनाया और उनका आशीर्वाद लिया। पंडित ने प्रस्तावक बनने से ऐवज में गंगा की सफाई और बनारसी संगीत को सहेजने का वचन लिया। इसी तरह एक गंगा में नाव चलाने वाले निषाद को भी अपना प्रस्तावक बनाकर उन्होंने बनारस के पिछड़े और दलित समाज को संदेश दिया। 

व्हीबर - स्थानीय अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने का प्रतीक
बनारस के बुनकर देशभर में बनारसी साड़ी की महीन कारीगरी के कारण विश्व विख्यात हैं। सरकारों की ओर से पर्याप्त संरक्षण नहीं मिलने और बिजली की अपर्याप्त आपूर्ति नहीं होने के कारण यह कला संकट के दौर से गुजर रही है। बुनकर हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही हैं। इसलिए मोदी ने रीवर के बाद व्हीवर की जिंदगी में बदलाव लाने का वादा किया। इसलिए उन्होंने तकनीकी अपग्रेेडेशन और मार्केटिंग के दम पर इस कला को बनारस से चीन तक फैलाने का वादा किया। इसके लिए मोदी के प्रस्तावकों में एक बुनकर भी शामिल था। इससे एक सामाजिक संदेश भी था।

सीवर - शहर की समस्याएं और बुनियादी ढ़ाचे का विकास
सीवर यानी बनारस के बुनियादी ढ़ांचे का विकास करना और वर्तमान समस्याओं का निराकरण । चूंकि मोदी विकास के एजेंडे पर ही चुनाव लड़ रहे हैं इसलिए फिलहाल उन्होंने इस पर कुछ नहंी कहा। चूंकि गंगा मैली होने का कारण नाले और सीबर हैं  इसलिए गंगा शुद्धिकरण और विकास में ये सबसे अव्वल रहेगा। इसके बिना गंगा को साफ करना असंभव होगा। अगले दौरों में इसका जिक्र करेंगे। कारण कि यह उनके एजेंडे में शामिल है।



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