Translate

बुधवार, 16 अप्रैल 2014

लालकिले से (भाग-69) - मोदी प्रधानमंत्री बने तो भाजपा में होगी 3 या 4 नए मुख्यमंत्रियों की ताजपोशी


 सोलहवीं लोकसभा के लिए चल रहे मतदान के नौ दौर के बाद अगर केन्द्र में मोदी प्रधानमंत्री बने तो चार राज्यों में नए मुख्यमंत्रियों की ताजपोशी होगी। इसमें दो भाजपा शासित राज्य हैं। गुजरात में मोदी के उत्तराधिकारी के तौर पर आनंदीबेन पटेल का नाम सारे गुजरात को पता है। अगर कोई बड़ा उलटफेर नहीं हुआ तो उनका नाम तय है। दिल्ली में निलंबित विधानसभा बहाल हो या फिर से चुनाव हों भाजपा की कमान किरण बेदी के हाथ में रहेगी । मनोहर पर्रिकर के केन्द्र में आने पर गोवा की कुर्सी भी खाली होनी है। इसके बाद उत्तराचंल में कांग्रेस सरकार का तख्ता पलट कर कांग्रेस से भाजपा में आए सतपाल महाराज को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा।


गुजरात में आनंदीबेन पटेल आगे, अमित शाह भी रेस में


मोदी के प्रधानमंत्री बनने की स्थिति में गुजरात में आनंदी बेन पटेल मुख्यमंत्री की पहली दावेदार हैं। वे मुख्यमंत्री की विश्वस्त मानीं जाती हैं। दूसरे दावेदार अमित शाह हैं लेकिन एनकाउंटर प्रकरणों में उनपर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मुकदमें इसमें बाधक हो सकते हैं। यूपी में अगर अमित शाह 50 प्लस सीटें ले आए तो उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष, पीएमओ में मंत्री या गुजरात का सीएम भी बनाया जा सकता है। मोदी को दिल्ली में भी एक विश्वस्त सहयोगी चाहिए होगा इसलिए अमित शाह के सीएम बनने की संभावना कम है। जयनारायण व्यास विधानसभा चुनाव हारने के कारण खुद ही रेस से बाहर हैं। मोदी को आशंका थी कि आडवाणी सीएम पद के लिए हरीन पाठक का नाम आगे बढ़ा सकते हैं, इसलिए मोदी ने अमदाबाद पूर्व से उनका टिकट काट दिया। अगर पाठक को इस लोकसभा चुनाव में टिकट मिलता तो शर्तिया जीत जाते और मुख्यमंत्री पद के तगड़े दावेदार हो सकते थे, इसलिए मोदी ने उनका लोकसभा टिकट ही कटवा दिया। टिकट कटने के बाद जिस तरह पाठक ने बगावती सुर छेड़े थे उससे आडवाणी का प्लान फेल हो गया। बाद में पाठक राजनाथ के मनाने पर मान भी गए। मोदी के प्रधानमंत्री बनने की स्थिति में पाठक मोदी की छोड़ी गई मणिनगर विधानसभा सीट से विधायक का चुनाव लडक़र राज्य में मंत्री बन सकते हैं। बताते हैं कि ऐसा ही कुछ उनसे समझौता हुआ है। अगर इसमें अड़चन आई तो उन्हें भाजपा संगठन में कोई दायित्व या यूपी, बिहार, बंगाल,तमिलनाडु या कनार्टक जैसे किसी गैर भाजपा शासित राज्य में राजनीति कारणों के चलते राज्यपाल की जवाबदारी भी दी जा सकती है।
इसके अलावा मोदी ने पिछले कुछ दिनों में उर्जा मंत्री सौरभ पटेल को जिस तरह तैयार कर रहे थे उससे दबी जुबां में उनकी भी दावेदारी सामने आ रही थी। इसी कारण मोदी विरोधी लाबी ने केजरीवाल से ये बयान दिलवाए कि सौरभ पटले अंबानी परिवार के दामाद हैं। सौरभ को मुकेश अंबानी के ताउ की बेटी दी हुई है। चुनाव आयोग में इस तरह की शिकायतें करने का मकसद था कि सौरभ और अंबानी की रिश्तेदारी सामने आए और उनका दावा कमजोर हो। इसी कारण केजरीवाल अंबानी और मोदी में नजदीकी के आरोप लगाया करते थे। उनका आरोप यह था कि अंबानी के कहने पर ही पटेल और उर्जा और पेट्रोलियम जैसे विभाग दिए गए।



दिल्ली में किरण बेदी होंगी सीएम या सीएम पद की उम्मीदवार

अंदरखाने से खबर है कि केन्द्र में मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर दिल्ली में किरण बेदी को मुख्यमंत्री बनाने की योजना है। एलजी अगर आमंत्रण देते हैं तो उनके आमंत्रण पर भाजपा किरण बेदी के नेतृत्व में सरकार बनाएंगी। उन्हें आप के दस विधायकों का समर्थन है। अगर विधानसभा के नए सिरे से चुनाव होते हैं तो भी बीजेपी किरण बेदी को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित करेगी। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले भी मोदी किरण बेदी को ही सीएम पद का प्रत्याशी धोषित करना चाहते थे। भाजपा के एक खेमे ने यह खबर अरविंद केजरीवाल तक पहुंचा दी तो वे भी किरण बेदी के पास मुख्यमंत्री पद का आफर लेकर पहुंच गए। भाजपा और आप की बीच फंसी किरण बेदी कुछ भी तय नहीं कर पाईं। इस बीच काफी समय गुजर गया और किरण बेदी से जवाब नहीं मिलने पर भाजपा ने देरी से ही सही हर्षवर्धन को दिल्ली से सीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया। इसके बाद केजरीवाल ने किरण बेदी को ठेंगा दिखा दिया। पहले चांदनी चौक से कपिल सिब्बल के सामने किरण बेदी का नाम तय सा था पर भाजपा ने ऐन वक्त पर हर्षवर्धन को उम्मीदवार बना दिया। उनकी उम्मीदवारी के पीछे एक कारण किरण बेदी का रास्ता साफ करना और दूसरा जीतने और केन्द्र में सरकार बनने के स्थिति में मोदी को स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए एक प्रभावी मंत्री चाहिए। पेशे से डाक्टर हर्षवर्धन को देश भर में पल्प पोलियो अभियान चलाने का श्रेय जाता है। दिल्ली का स्वास्थ्य मंत्री रहते उन्होंने यह योजना आरंभ की थी। इसे बाद में केन्द्र सरकार और अन्य राज्यों ने भी लागू किया।




मनोहन पर्रिकर केन्द्र में संभालेंगे महत्वपूर्ण जवाबदारी

आरएसएस की पसंद कहे जाने वाले मनोहर पर्रिकर को भी केन्द्र की मोदी सरकार में गृहमंत्रालय मिलना तय है। संघ ने आडवाणी और जोशी के बदले अब पार्टी में संघ की विचारधारा से जुड़े नए लोगों को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करना आरंभ कर दिया है। शुरुआत मोदी से हुई और अब पर्रिकर की बारी है। दरअसल संघ मनोहर पर्रिकर को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना चाहता था और सारी तैयारियां हो चुकी थीं। पर्रिकर ने पुण्ेा के एक कार्यक्रम में आडवाणी को बरनी में रखा पुराना आचार कह दिया। इस पर जमकर हंगामा हुआ और उन्हे अध्यक्ष बनाने का संघ का सपना टूट गया। संघ को पर्रिकर के स्थान पर नितिन गडक़री का अध्यक्ष बनाना पड़ा। भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद गडक़री को भी पद छोडऩा पड़ा और राजनाथ अध्यक्ष बने। अभी पर्रिकर की जगह कौन सीएम बनेगा इस पर कोई बात सामने नहीं आई है। वैसे आईआईटी इंजीनियर पर्रिकर को संघ केजरीवाल की काट के तौर पर भी खड़ा करना चाहती है। राजनाथ के मंत्रिमंडल में शामिल होने पर वे अध्यक्ष पद के भी दावेदार हैं।



उत्तराखंड में कांग्रेस से भाजपा में आए सतपाल महाराज 

उत्तराचंल में कांग्रेस से भाजपा में आए सतपाल महाराज कांग्रेस की हरीश रावत की सरकार को जब चाहेंगे गिरा देंगे। उन्हें 5 कांग्रेसी और निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है। भाजपा से हुए समझौते में मुख्ममंत्री पद मिलने के वादे के बाद ही सतपाल महाराज भाजपा में आए थे। सतपाल महाराज को सीएम बनाने की योजना के तहत तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों को भाजपा ने लोकसभा चुनाव मैदान में उतारा है। बीसी खंडूरी (गढ़वाल), डा रमेश पोखरियाल निशंक (हरिद्वार) और भगतसिंह कोश्यारी (नैनीताल -उधमपुर) सभी लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। हार गए तो दावेदारी वैसे ही खत्म हो जाएगी अगर जीते तो के न्द्र में रहेंगे। पर इस योजना में अमल राज्यपाल बदलने के बाद ही होगा।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें