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गुरुवार, 10 अप्रैल 2014

लालकिले से (भाग-67) -नरेन्द्र मोदी से अलग होने का फैसला जसोदाबेन का था.. लेकिन इसलिए मोदी को पत्नी के कालम में लिखना पड़ा उनका नाम




             मुझे उनके बारे में पढऩा अच्छा लगता है, मैं            जानती हूं  वे देश के प्रधानमंत्री बनेंगे।


एक दूसरे से अलग होने का सामाजिक फैसला जसोदाबने का था। गुजरात में इसे कहते हैं छुट्टाछेड़ा यानी सामाजिक तौर पर रिश्ते से अलग होना। दोनों के बीच कानूनी तौर पर तलाक नहीं हुआ इसलिए मोदी को नामांकन फार्म में नई कानूनी बाध्यता के तौर पर पत्नी के  कालम में उनका नाम लिखना पड़ा।  (एक फेसबुक मित्र संदीप देव की सूचना के अनुसार चंूकि अभी तक मोदी विवाह के कालम को खुला छोड़ देते थे। अब कांग्रेस उनके ऐसा करने पर उनका नामांकन रदद् करवाने का गेम प्लान तैयार कर रही थी तब मोदी के परिजनों ने जसोदाबेन से पूछकर फार्म में उनका नाम लिखने पर सहमति ले ली।) इंडियन एक्सप्रेस में छपे इंटरव्यू के मुताबिक बकौल जसोदाबेन मोदी ने उनसे दो बार एक ही बात कही थी -पढ़ाई जारी रखो। वे कहती हैं मुझे उनके बारे में पढऩा अच्छा लगता है, मैं जानती हूं  वे देश के प्रधानमंत्री बनेंगे।
दरअसल नरेन्द्र मोदी और जसोदाबेन शादी के तीन साल बाद जिस तरह अलग हुए गुजरात में उसे छुट्टाछेड़ा कहते हैं। छुटटा यानी  खोल देना और छेड़ा यानी सिरा। जिस तरह विवाह में स्त्री और पुरूष को सांकेतिक रूप से दो कपड़ों के सिरे बांधकर गठबंधन  कर एक किया जाता है उसी तरह गुजरात में इस गठबंधन को अलग करने का नाम है छुट्टा छेड़ा। गुजरात में अगर पति- पत्नी के विचार नहीं मिले तो दोनों आपसी रजामंदी से अलग हो जाते हैं। इसके बाद दूसरी शादी भी वहां बड़ी आसानी से हो जाती है। गुजरात का समाज का इतना एडवान्स है कि कई घरों में सगाई के बाद ही बहू घर में कुछ दिन रहने के लिए आ जाती है, ताकि वह समझ सके कि इस घर के साथ वह एडजेस्ट हो पाएगी या नहीं। गुजरात में गुजरात के ज्यादातर मीडियाकर्मी  इस बारे में जानते हैं और वहां इस बारे में छपता भी रहा है। नेशनल और हिन्दी मीडिया के लिए यह नई खबर हो सकती है।
इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में खुद जसोदाबेन ने स्वीकार किया कि वे तीन साल में तीन महीने ही साथ रहे थे। इस दौरान मोदी उनसे बात करते थे और किचन में मदद करते। मुझे पढ़ाई जारी रखने को भी कहा। इस इंटरव्यू के मुताबिक जसोदाबेन अलग होने के कारणों के बारे में बताती हैं कि - एक दिन वे बोले में देश भ्भर में एक शहर से दूसरे शहर तक भ्भटकता रहता हूं। क्या तुम भी मेरे पीछे-पीछे आओगी। (दरअसल इंटरव्यू में भटकने का संदर्भ नहीं दिया है लेकिन यह आरएसएस के काम के संदर्भ में है)। इसके बाद मैं वडऩगर अपने ससुराल आ गईं। तब उन्होंने कहा कि तुम ससुराल क्यों आ गई, तुम अभी यंग हो तुम्हें अपनी पढ़ाई जारी रखनी चाहिए। उन्हें छोडऩे का फैसला मेरा अपना निर्णय था। हम दोनों के बीच कोई विवाद नहीं था। इंटरव्यू पढऩे के बाद एक बात तो साफ होती है कि जसोदाबेन मोदी को काफी पसंद करती थीं। कारण कि वे कहतीं हैं कि मोदी को उनकी मंजिल मिले। वे ऐसा कुछ नहीं करेंगी जिससे कि मोदी को तकलीफ हो। शायद संघ और देश के प्रति मोदी के प्रेम को देखते हुए ही उन्होंने त्याग का रास्ता अपनाया और रास्ते से खुद ही हट गईं। दूसरी शादी नहीं करने के प्रश्न पर कहती हैं कि इस अनुभव के बाद दिल ने गवाही ही नहीं दी। इसलिए दोनों के बीच कभी भी कानूनी तलाक की बात नहीं आई।(गुजरात में छुट्टाछेड़ा होने के बाद दूसरा विवाह आम है पर जसोदाबेन ने ऐसा नहीं किया। इससे लगता है कि वे मोदी को कभी भी दिल से नहंी निकाल पाईं।)
जसोदाबेन अभी ६२ साल की हैं। मोदी की सलाह से ही उन्होंने पढ़ाई की। टीचर बनी और रिटायर्ड हो चुकी हैं। १४ हजार रुपए पेंशन मिलती हैं। भाई के साथ रहती हैं और मां अंबे की भक्ति में लीन रहती हैं और मोदी के बारे में छपा हर लेख और खबर को पढ़ती हैं। चूंकि दोनों आपसी रजामंदी से सामाजिक तौर पर अलग रहते थे इसलिए कानूनी रूप से दोनों ने अलग होने के बारे में कभी नहीं सोचा। इसलिए दोनों को कानूनी तलाक की आवश्यकता ही नहीं हुई। कारण कि अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद चुनाव के लिए भरे जाने वाले फार्म में वैवाहिक स्थिति का कालम खाली नहीं छोड़ा जा सकता। कांग्रेस इसी आधार उनका नामांकन रद्द करवाने का गेम प्लान रच रही थी इसलिए मोदी को पत्नी का नाम जसोदाबेन लिखना पड़ा। लिखने से पहले उनके सहमति ली गई। खुद जसोदाबेन ने इंटरव्यू में कहा है कि मोदी ने दो बार उनसे पढ़ाई आगे रखने के लिए कहा था इससे यह भी लगता है कि मोदी को उनकी फिकर तो थी पर संघ प्रेम इतना ज्यादा था कि उन्हें इस फिकर को प्रेम में बदलने का मौका ही नहीं मिला।










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