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रविवार, 27 अप्रैल 2014

लालकिले से (भाग-84) - हवाला कारोबार में सोनिया के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल का भी नाम, मोदी ने बिना नाम लिए बोला हमला




नरेन्द्र मोदी ने अब बिना नाम लिए सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल को लपेट लिया है। वैसे अहमद पटेल उनक दोस्त भी हैं पर अब बात दोस्ती से हद से आगे जा चुकी है। अहमद पटेल इन दिनों संघ के भी निशाने पर हैं। सांप्रदायिक हिंसा बिल के पीछे उन्हीं का आयडिया बताया जाता है इसलिए वे संघ के भी निशाने पर हैं।

आयकर विभाग के टेप में सौदे की बात
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हवाला कारोबारी और मांस निर्यातक मोईन कुरैशी ने पांच दर्जन ठिकानों पर छापे से पहले आयकर विभाग ने उसके फोन टेप किए थे। विभाग को फोन टेप करने का अधिकार दो साल पहले ही मिला था। इसके ३०० घंटे के टेप में १० जनपथ के करीबी अहमद पटेल का नाम है। इन्हीं के माध्यम से मोईन कांग्रेस नेताओं के कालेधन को सफेद करने का काम करता है। इसी कालेधन, सुरा और सुंदरियों के दम पर पटेल ने दो बार यूपीए की सरकार को अविश्वास प्रस्ताव पर हार से बचाया था। जी न्यूज ने सबसे पहले इस हवाला कारोबार का खुलासा किया था। मोदी ने कहा कि 10 जनपथ के एक करीबी व्यक्ति और इस व्यापारी के बीच पैसो के लेन देने की बातचीत टेप की गई है। वह व्यक्ति कौन है, यह देश को पता चलना चाहिए। मोदी ने अपने भाषण में इन टेपों को आधार बनाया है।

सांप्रदायिक हिंसा बिल के कारण संघ के निशाने पर
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संघ पर नकेल कसने के लिए अहमद पटेल ने सांप्रदायिक हिंसा बिल का आयडिया दिया था। इस बिल में एकतरफा प्रावधान थे। इसलिए यह सदन के पटल पर नहीं आ पाया। कांग्रेस ने अपने घोषणा-पत्र में इसका वादा किया था। यह बिल मुस्लिमों को एक तरफा गुडागर्दी की छूट देता है और हिन्दुओं को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने का सारा इंतजाम करता है। इसलिए संघ सक्रिय हो गया है।

यूपीए सरकार में अहमद पटेल के बगैर पत्ता नहीं हिलता
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सूत्रों का कहना है कि मनमोहन की सरकार, सोनिया के रिमोट से चलती है और सोनिया के फैसलों में अहमद पटेल की खास भूमिका होती है। यानी कुल मिलाकर सरकार यूपीए सरकार में अहमद पटेल के बगैर पत्ता तक नहीं हिलता। २००७ के गुजरात विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस अहमद पटेल को मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी बनाने की योजना थी। इसमें खुद पटेल को कम रूचि थी पर गुजरात से कांग्रेस को जो फीडबैक मिला उसके बाद उसने इस योजना का पेंडिंग कर दिया गया। वहां यह फीडबैक मिला कि उन्हें अगर प्रत्याशी बनाया गया तो सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से भाजपा एक तरफा जीत जाएगी। पटेल राज्यसभा के सांसद हैं और भरूच, गुजरात से आते हैं। यहीं राहुल के दादा फिरोज गांधी का पैतृक गांव भी है।

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