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शुक्रवार, 25 अप्रैल 2014

लालकिले से (भाग-80) - भारत का संविधान कहता है कि - आरक्षण केवल (हिन्दू) अनुसूचित जाति, जन जाति और पिछड़े वर्गों के लिए है मुसलमानों और ईसाइयों के लिए नहीं


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इसीलिए उलेमा काउंसिल करती रही है संविधान  के अनुच्छेद- 341 को हटाने की मांग
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मरता क्या न करता की तर्ज पर बीच चुनाव में कांग्रेस ने बीच चुनाव में मुस्लिमों के लिए पिछले दरवाजे के लिए आरक्षण का दंाव खेला है। इसमें उन्होंने अल्पसंखयकों के विकास के लिए पिछड़े मुसलमानों को ४.५ प्रतिशत आरक्षण और दलित मुसलमानों को एससी में शामिल कर ने का वादा किया गया है। यह कोटा पिछड़ी जाति के लिए बनाए गए कोटे में कम कर दिया जाएगा। दरअसल कांग्रेस इससे एक तीर से दो निशाने साध रही है। मुसलमानों के अलावा इसका लाभ इसाईयों को भी मिलेगा। राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल संविधान के अनुच्छेद ३४१ को हटाने की मांग कर रही है ताकि दलित मुस्लिम और ईसाइयों को इस श्रेणी में आरक्षण का लाभ मिल सके। हांलाकि दलित इसका विरोध कर रहे हैं।
दरअसल मुसलमानों या धर्म परिवर्तन कर हिन्दू से मुसलमान या हिन्दू से इसाई बने नागरिकों को मौजूदा संविधान की व्यसस्थाओं के चलते के किसी भी सूरत में आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता। संविधान के अनुच्छेद-340 के तहत पिछड़ा वर्ग,
अनुच्छेद-341 के तहत अनुसूचित जातियों और 342के तहत अनुसूचित जनजातियों या उनके मूलवंशों, समूहों या उप समूहों को ही आरक्षण की पात्रता है। ये सभी हिन्दू संस्कृति का अंग हैं। आजादी के बाद प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने हिन्दू दलितों और आदिवासियों का धर्मान्तरण रोकने और आजादी से पूर्व धर्म बदलने वालों को आरक्षण की सुविधा न मिले इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 340 (पिछड़ा वर्ग), 341 (एससी) और 342 (एसटी) में जाति, मूलवंश, उपवंश और समूहों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की थी। यानी आजादी के बाद अनसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी के कोटे में सिर्फ हिन्दू अनुसचित जाति और जनजातियां आती थीं। उस समय इसमें यह स्पष्ट नहीं था कि हिन्दू में सिख और बौद्ध आते हैं या नहीं इसलिए इसे स्पष्ट करने के लिए इसमें सिख और बौद्धों का उल्लेख किया गया।
मुस्लिमों और ईसाइयों को आरक्षण देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 340, 341, और 342 में संशोधन करना होगा। इस संशोधन को पास करने लिए संसद के दोनों सदनों का तीन चौथाई बहुमत चाहिए। इसलिए यह पारित नहीं होगा । कारण कि एसी, एसटी और ओबीसी के सांसद कभी नहीं चाहेंगे कि उनके समाज के आरक्षण के हिस्से में कोई कमी आए।
26 मार्च को घोषित घोषणा पत्र में कांग्रेस ने पिछड़े मुसलमानों के लिए आरक्षण की बात कही थी लेकिन नए दस्तावेज में उसने साफ तौर पर 4.5 प्रतिशत कोटे की बात की है। सरकार में आने पर एक आयोग बनाकर वैसे इस कोटे की घोषणा लगभग साल भर पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आरक्षण कर चुके थे लेकिन अदालत ने इस पर रोक लगा दी।
अगर केन्द्र को मुस्लिमों को आरक्षण देना है तो वह आर्थिक आधार पर देना होगा। अगर आधार आर्थिक होगा तो इसका फायदा ब्राह्मण, वैश्य और क्षत्रिय को भी मिलेगा।

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