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बुधवार, 9 अप्रैल 2014

लालकिले से (भाग-63)- महाराजा सयाजीराव का जिक्र कर मोदी ने मराठी और दलित वोटों को रिझाया पर असली निशाना आस-पास की 10 सीटों पर





नरेन्द्र मोदी बनारस के अलावा अमदाबाद पूर्व से भी चुनाव लड़ सकते थे पर उन्होंने ऐसा नहीं किया। भाजपा ने बनारस की तर्ज पर मोदी के लिए वडोदरा (बड़ौदा) की सीट इसलिए चुनी कि यहां से मध्य और दक्षिण गुजरात की दस सीटों और खासकर कांग्रेस के कब्जे वाली पांच सीटों को प्रभावित किया जा सकता है। साथ ही यहां का असर महाराष्ट्र की सीमा से लगने वाली 5 सीटों पर भी पड़ता है। कारण कि वडोदरा से लगाकर वापी तक का क्षेत्र एक समय मुंबई स्टेट का हिस्सा था। इसी रणनीति के तह मोदी ने वडोदरा से अपना नामंाकन भरने के बाद दिए अपने वक्तत्व में तत्कालीन महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ के सुशासन और आधुनिकता का जिक्र कर मराठी, दलित और महिला मतदाताओं को संदेश देने की कोशिश की है। वडोदरा में मोदी के लडऩे से दक्षिण गुजरात की भरूच, सूरत, नवसारी, बारडोली, वलसाड़ और मध्य गुजरात की आणद , नडिय़ाद, पंचमहाल, छोटा उदयपुर और दाहोद सीटें प्रभावित होंगी। यानी सीधा-सीधा दस सीटों का गणित है।

मराठी वोटबैंक 


मराठा शासकों यथा पेशवा, गायकवाड़, होलकर और सिंधिया में गायकवाडों की गिनती बेहतरीन प्रशासकों में होती है। मराठा स्टेट होने और गुजरात बनने से पहले मुंबई स्टेट में होने के कारण वडोदरा से वापी तक मराठी वोट बैंक प्रभावी है। वडोदरा में मराठी वोट निर्णायक हैं। यह वोट बैंक वडोदरा के अलावा सूरत, भरूच, नवसारी और वलसाड़ सीट पर महत्वपूर्ण भमिका निभाता है। यहां से मोदी ने महाराष्ट्र के मराठी मतदाताओं को रिझाने की कोशिश भी की है। सयाजीराव नेे अपने शासन में महिला शिक्षा, लतित कला शिक्षा, लाइब्रेरी, शालाएं खोलने, वाटर हार्वेस्टिंग यानी आधुनिकता को को काफी महत्व दिया था। इसलिए उन्होंने सयाजीराव की पुस्तक मायनर हिंटस का खासतौर पर जिक्र करते हुए यह संदेश देने की कि वे विकास और आधुनिकता के पुरोधा थे, लिहाजा सभी शासकों को ये किताब पढऩी चाहिए।

दलितों वोट बैंक पर नजर 


डां. भ्भीमराव आंबेडकर को मानने वाले दलित खास बीएसपी से जुड़े लोगों के लिए सयाजीराव गायकवाड़ किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं। भीमराव आंबेडकर मेघावी थे और उच्च शिक्षा के लिए यूके और यूएस जाना चाहते थे। उन्हें कई मुस्लिम धर्मगुरूओं ने छात्रवृत्ति देने की पेशकश की लेकिन उन्होंने साफ इंकार कर दिया। जब हिन्दू समाज के कुछ लोग चाहते हुए भी जांत-पांत के डर से उनकी मदद नहीं कर पा रहे थे ऐसे समय महाराज सयाजीराव गायकवाड़ को पता चला कि पैसे की कमी के कारण भीमराव आंबेडकर उच्च शिक्षा से वंचित हंै तो उन्होंने उन्हें बड़ोदरा बुला लिया। उन्हें स्टेशन पर लेने के लिए शाही घोड़ा गाड़ी भी गई थी। बाद में उन्होंने आंबेडकर को मास्टर और डाक्टरेट की उच्च शिक्षा के लिए यूएस और यूके भेजा और छात्रवृत्ति के रूप में पूरा खर्च उठाया। 1913 में उन्होंने न्यूयार्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में दाखिला मिला। 1915 में उन्होंने अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री की। इसके बाद उन्होंने 1928 में लंदन स्कूल आफ इकानामिक्स से डाक्टरेट हासिल की। इसलिए सारे दलितों में सयाजीराव के प्रति अनन्य श्रद्धा भाव देखा जाता है। इसलिए मोदी ने इस समुदाया को भ्भी संदेश देने की कोशिश की है।

कांग्रेस की5 सीटों पर नजर -


वडोदरा के आस- पास मध्य गुजरात की सीटें दाहोद, पंचमहाल, छोटा उदयपुर, खेड़ा और आणंद मूलत: कांगे्रस मिजाज की सीटें हैं। इनमें आणंद, दाहोद और खेड़ा अभी कांग्रेस के कब्जें में है। यहां से लगे दक्षिण गुजरात में भी बारडोली और वलसाड़ सीट कांग्रेस के कब्जे में है। इसलिए मोदी ने वडोदरा से चुनाव लडक़र मध्य और दक्षिण गुजरात की कांग्रेस के कब्जे वाली पांच सीटों को भाजपा के पक्ष में लाने का गणित लगाया है। साथ में पुरानी सीटों को वापस जीतने की चुनौती तो है ही।

चायवाला और राजमाता मोदी के प्रस्तावक-


मोदी ने एक चायवाले किरण मीहड़ा और वडोदरा राजघराने की पूर्व राजमाता शुभांंगिनी गायकवाड़ को अपनना प्रस्तावक बनाकर संदेश दिया है कि उनके साथ हर वर्ग का मतदाता है। इस दौरान वैष्णव और स्वामीनाराण संप्रदाय के बड़े आचार्य भी वहां थे। रोड शो का मुस्लिमों ने भी स्वागत किया। युवा बड़ी तादात में थे। यानी हर संप्रदाय का उन्हें समर्थन है ऐसा उन्होंने दिखाने की कोशिश की है।





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