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बुधवार, 9 अप्रैल 2014

लालकिले से (भाग-65)- कोई सिख, कोई जाट मराठा, कोई गुरखा, कोई मदरासी, सरदह पर मरने वाला हर वीर था भारतवासी




आजम खां का बर्खास्त कर दर्ज करें देशद्रोह का मामला

एक खुला पत्र आजम खान के नाम

आजम खान साहब,
जयहिंद की सेना। 1962 मेंं चीन से युद्ध में भारत की हार और सैकड़ों सैनिकों की शहादत पर कवि प्रदीप ने एक कालजयी गीत लिखा था, जिसे गाया था लता मंगेशकर ने। कहते हैं कि इस गीत को सुनते-सुनते तत्कालीन प्रधानमंत्री पं जवाहरलाल नेहरू रो पड़े थे।  ये लाइनें आपको पेशे खिदमत है-

कोई सिख, कोई जाट मराठा, कोई गुरखा, कोई मदरासी,                                                                         सरदह पर मरने वाला हर वीर था भारतवासी  
                                             
सेना में सैनिक अपने देश और अपनी कंपनी की आन पर मिट जाते हैं, जाति या धर्म पर नहीं। अंग्रेजों के समय पर सेना का नामकरण क्षेत्र और जातियों के आधार पर हुआ था। जैसे- राजपूताना रायफल्स, कुमायंू रेजीमेंट, गढ़वाल रायफल्स, जाट रेजीमेंट आदि। तब उसमें क्षेत्र और जाति के अनुसार भरती होती थी, लेकिन तब भी पैमाना था सिर्फ योग्यता। आजादी के बाद इसमें और सुधार हुए। हर एक रेजीमेंट में हर धर्म और जाति के लोगों की भरती हुई। चीन और पाकिस्तान से हुए तमाम युद्ध में इन सैनिकों ने साबित किया कि वे सिर्फ- और सिर्फ भारतीय हैं। प्रथम विश्वयुद्ध में हमारी रेजीमेंटों की विजय गाथा गाते अंग्रेज आज भी नहीं अघाते।

और आप कहते हैं कारगिल युद्ध मुस्लिम सैनिकों ने जिताया था, इसमें हिन्दुओं का कोई योगदान नहीं था। यानी आप भारतीय फौजोंं को मजहब की आड़ में बांटना चाहते हैं। यह बयान उन हजारों  सैनिकों की शहादत का अपमान है, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए हंसते-हंसते अपने प्राण दे दिए। आज आपने एक फीट मोटी चादर से बने पाकिस्तानी पैटर्न टैंकोंं को  मात्र हथगोंलों की मदद से उड़ा देने वाले अब्दुल हमीद का अपमान किया है।

आपको बता दंू कि फील्ड मार्शल मानिक शा पारसी थे लेकिन अब तक के सबसे जंगजू फौजियों में उनकी गिनती होती है। पाकिस्तानी  टैंकों को हथगोलों से तबाह करने वाल अब्दुल हमीद पर भारतीय फौज और सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानियों को नाज है। बंगलादेश युद्ध में पाकिस्तानी फौजों को दुनिया का सबसे बड़ा आत्मसमपर्ण करने लेफ्टिनेंट जनरल जगजीतसिंह अरोड सिख थे।  डेविस एंटोनी ला फार्टेन तो एअर चीफ मार्शल बने।

आप समझ ही गए होंगे कि अलग-अलग मजहबों से आने के बाद भी सेना में वे सिर्फ भारतीय हैं। शायद आप किसी भारतीय रेजीमेंट के मुख्यालय में जाने का मौका नहीं मिला होगा। आपके नेताजी को जरूर मिला होगा, वे तो तीसरे मोरेचे की सरकार में रक्षा के मोरेचे वाले मंत्री ही थे। सेना की रेजिमेंट में मंदिर, मस्जिम,गुरूद्वारा और चर्च भी होता है। यहां सेना के पंडित, मौलवी, ग्रंथी और पादरी होते हैं। इसनी बाकायदा भरती होती है। योगयता मजहब के मुताबिक ही होती है। यानी देश में कोई सच्चा सेकुलर है तो वह सिर्फ सेना। सेना से आप जैसे नेताओं को सचमुच कुछ सीखना चाहिए।
आपने सेनाओं को  धर्म के आधार पर  बांटने की बात कहकर  राज्य का मंत्री बनते समय ली गई संविधान की वह शपथ तोड़ी है जिसमें आपने कहा था कि- मैं भारत की एकता और अखंडता अक्षुण्य रखूंगा। यह गंभीर अपराध है। इसके लिए आपको मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर देना चाहिए। चूंकि आपने सेना को बांटने की कोशिश की है इसलिए भारतीय दंड संहिता के तहत आपके खिलाफ भारतीय सशस्त्र सेनाओं के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र और देशद्रोह का मामला भी बनता है।

इसी कारण आपने शाम को सोश्यल मीडिया पर एक पत्र जारी कर यह कहने की कोशिश की कि उन्होंने कहा कि देश के लिए सभी मजहबों के लोगों ने कुर्बानी दी है, आदि-आदि। वैसे यह पत्र मामले को घुमाने  का राजनीतिक अंदाज है। इसमें यह कहा जाता है कि मेरे कहने का मतलब यह नहीं था।
अब आपके लिए यही श्रेयस्कर रहेगा कि या तो आप हिन्द की सेना से माफी मांगे या फिर कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार रहें।

जयहिन्द।

कलम का सिपाही एक भारतवासी

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